Tuesday, May 8, 2012

LAL KITAB - DISEASES


पहला सुख निरोगी काया - बड़े बुजुर्गों ने कहा है,'पहला सुख निरोगी काया' बिलकुल यह बात सत्य है, यदि स्वास्थ्य नहीं तो कुछ भी नहीं चाहे जितनी मर्जी धन दौलत हो सब बेकार है। रूपया पैसा किसी काम का नहीं जब तक की आपका शरीर स्वस्थ नहीं, क्यूंकि यदि आप स्वस्थ हैं तो जीवन के हर सुख का आनंद ले सकते हैं। आईये जाने लाल किताब से की कौन कौन से ग्रहों के अशुभ या कमज़ोर होने पर हमें किस किस प्रकार के रोग या कष्ट आने की सम्भावना रहती है और ऐसी स्थिति में हमें किन किन ग्रहों का उपाय करना चाहिए। जिस साल लाल किताब के वर्षफल अनुसार भाव नंबर ---११ या ---१२ मंदे या उनमे पापी ग्रह या अशुभ ग्रह हो तो उस साल व्यक्ति को अवश्य ही किसी किसी रोग से जूझना पड़ सकता है, आईये निम्नलिखित बातों से जाने की कौन कौन से रोग हमें परेशान कर सकते हैं-

  • जब हाथ की अँगुलियों के नाखून गोल हो और उनका रंग हरा हो जाये तो ऐसे व्यक्ति का शरीर रोगग्रस्त होगा खासकर दिमागी बीमारियाँ होंगी।
  • जब नाखून चौड़े और उनका रंग नीला हो जाये तो व्यक्ति को पुठों सम्बन्धी रोग होगा या उसके शरीर में खून की कमी होगी।
  • नाखून छोटे और सफ़ेद हो जाएँ तो भी खून की कमी होगी।
  • नाखून छोटे और उनका रंग पीला पड़ जाये तो हृदय सम्बन्धी रोग होने की सम्भावना रहती है।
  • नाखून मध्यम आकार के हो और उनका रंग काला हो तो व्यक्ति उम्र भर किसी किसी बीमारी से ग्रसित रहेगा।
  • नाखून लम्बे हो और उनका रंग पीला पड़ जाये तो व्यक्ति को फेफड़े और छाती सम्बन्धी रोग होंगे और शरीर कमज़ोर होगा।
  • नाखून पतले और काले हो तो उम्र भर बीमार और कमज़ोर होगा।
  • नाखून पर जब काला, सफ़ेद, लाल या अन्य रंग के धब्बे हो तो व्यक्ति पीठ की बीमारी से ग्रसित होगा।
  • यदि कुंडली में बृहस्पति कमज़ोर हो तो व्यक्ति को सांस फेफड़े सम्बन्धी रोग होने की सम्भावना रहती है।
  • यदि कुंडली में सूरज कमज़ोर हो तो व्यक्ति को दिल सम्बन्धी रोग होने की सम्भावना अधिक रहती है, पागलपन मूंह से झाग निकलना, किसी अंग की ताकत बेकार हो जाना आदि रोग व्यक्ति को घेर सकते हैं।
  • जब बुध भाव नंबर १२ में हो और सूरज भाव नंबर में जाये (यह स्थिति केवल लाल किताब अनुसार वर्षफल में ही सकती है) तो उस साल व्यक्ति को ब्लड प्रेशर की बीमारी होगी।
  • चन्द्र कमज़ोर या अशुभ हो तो व्यक्ति को दिल सम्बन्धी रोग या नेत्र रोग होने की सम्भावना रहती है।
  • शुक्र यदि कमज़ोर हो तो व्यक्ति को त्वचा सम्बन्धी रोग, खुजली, चम्बल वगैरह रोग होंगे।
  • मंगल कमज़ोर हो तो नासूर, पेट के रोग, हैजा, पित्त, मैदा, भगंदर, फोड़े फुंसी आदि तरह तरह के रोग होंगे।
  • बुध कमज़ोर होने पर चेचक, दिमागी कमजोरी, अंतड़ियों सम्बन्धी रोग, भोजन नाली में खराबी, ज़ुबान दांत सम्बन्धी रोग होंगे।
  • शनि कमज़ोर होने पर नेत्र दृष्टि कमज़ोर, खांसी, दमा आदि रोग होंगे।
  • राहू यदि अशुभ या कमज़ोर हो तो बुखार, दिमागी रोग, प्लेग, हादसा, अचानक चोट आदि से खतरा होगा।
  • केतु यदि कमज़ोर हो तो जोड़ों की बीमारी या दर्द, गैस की बीमारी, फोड़े, फुंसी, रसौली, सुजाक, आतशक, पेशाब सम्बन्धी रोग, स्वप्न दोष, कान सम्बन्धी रोग, रीढ़ सम्बन्धी रोग, हर्निया, अंग का उतर जाना आदि रोग से व्यक्ति पीड़ित होगा।
  • बृहस्पत राहू या बृहस्पत बुध- कमज़ोर या अशुभ होने पर दमा, सांस की तकलीफ होगी।
  • राहू केतु (वर्षफल में) या चन्द्र केतु कमज़ोर हो तो बवासीर, पागलपन, निमोनिया आदि से तकलीफ होगी।
  • सूरज शुक्र कमज़ोर होने पर तपेदिक रोग होने की सम्भावना रहती है।
  • मंगल शनि कमज़ोर हो तो कोढ़, खून में खराबी, जिस्म या चर्म का फटना आदि से तकलीफ होगी।
  • शुक्र राहू से नामर्दी होगी, शुक्र केतु से स्वप्न दोष, बृहस्पत के साथ मंगल बद होने पर पीलिया, चन्द्र बुध या मंगल का टकराव होने पर ग्लैंड्स सम्बन्धी रोग होगा।
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रंग व स्वाद से जाने शुभाशुभ ग्रह


रंग स्वाद से जाने शुभाशुभ ग्रह

जी हाँ चौंकिए मत यह बिलकुल सच है की आप अपने खाने के स्वाद व रंग से भी अपनी जनम कुंडली के शुभ अशुभ ग्रहों के बारे में जान सकते हैं, और उनका समय रहते इलाज कर सकते हैं। 'लाल किताब' में इस विषय के बारे में बहुत अधिक विस्तार से तो नहीं बताया गया है, हाँ मगर इशारा ज़रूर दिया गया है। हम जानते हैं की प्रत्येक ग्रह का सम्बन्ध किसी किसी व्यक्ति या वस्तु से होता है और प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष हम पर उसका प्रभाव भी पड़ता है। प्रकृति का नियम है की जो चीज़ कम होती है उसकी पूर्ती के लिए वह दूसरी अन्य चीज़ों पर निर्भर करती है, ठीक इसी तरह मानव शरीर में भी जिस चीज़ की कमी होगी हमारा शरीर उसकी पूर्ती करने के लिए उन चीज़ों का प्रयोग अधिक करेगा। जैसे की यदि हमारे शरीर में आयरन या कैल्शियम की कमी होती है तो डाक्टर भी हमें उसकी पूर्ती के लिए आयरन कैल्शियम लेने के लिए कहते हैं चाहे गोली के रूप में या भोजन के रूप में। मगर यह तो बात हुई कमी पूर्ती की मगर ग्रहों के साथ ऐसा नहीं है ग्रहों के मामले में जो ग्रह कुंडली में अशुभ होगा हमारा स्वत ही उस ग्रह से सम्बंधित चीज़ों में लगाव बढ़ जायेगा यानि जब हमारी जनम पत्री में कोई ग्रह अशुभ अवस्था में होता है तो हमारा झुकाव स्वत ही उस ग्रह से सम्बंधित चीज़ों की तरफ होगा और हम स्वत ही उस ग्रह से सम्बंधित चीज़ें अधिक मात्रा में प्रयोग करने लगेंगे और यह स्वभावतः ही होगा जानबूझकर नहीं। आईये जाने की 'लाल किताब' अनुसार जब हमारी जनम पत्री में कोई ग्रह अशुभ होता है तो इसका हमारे स्वाद रंगों के चयन  पर क्या असर पड़ता है।



  • बृहस्पति - बृहस्पति का सम्बन्ध पीली वस्तुयों से है खासकर हल्दी, चने की दाल इत्यादि यदि जनम पत्री में बृहस्पति अशुभ होगा तो व्यक्ति अपने खाने में हल्दी का प्रयोग ज्यादा करता होगा या उसे चने की दाल बहुत पसंद होगी और वो हर दूसरे दिन चने की दाल खाता होगा। उसे पीले रंग पीली वस्तुयों से खासकर लगाव होगा।
  • सूरज - सूरज का गंदमी (भूरा, खाकी) रंग है कुंडली में सूरज के अशुभ अवस्था में होने पर व्यक्ति अपने खाने में तेज़ नमक (सफ़ेद) खाता होगा उसे आदत होगी की कोई भी सब्जी आये उसे बिना चखे ही वो उसमे और नमक डाल देगा, ऐसा व्यक्ति लाल या ताम्र रंग या फिर खाकी रंग से उसे बहुत लगाव होगा, सरकारी वर्दी का कोई वहम नहीं।
  • चन्द्र - चन्द्र का रंग दूध जैसा सफ़ेद है, चन्द्र कमज़ोर होने पर व्यक्ति दूध या चावल आदि के सेवन का अधिक शौक़ीन होगा, हफ्ते में कम से कम - बार या शायद रोज़ खाने में उसे चावल चाहिए और सफ़ेद रंग से भी उसे काफी लगाव होगा। ऐसा व्यक्ति बर्फ खाने का भी शौक़ीन होगा, खासकर ऐसे व्यक्ति अपने जाम में खूब सारी बर्फ डालते हैं।
  • शुक्र - शुक्र का रंग भी सफ़ेद ही है (दही जैसा), शुक्र कमज़ोर होने पर व्यक्ति आलू, जिमीकंद, गाजर खाने का बहुत शौक़ीन होगा, उसके खाने में इन सब्जियों की मात्रा अधिक होगी, घी दही का भी वह भरपूर सेवन करता होगा। सफ़ेद रंग उसे बहुत प्रिय होगा।
  • मंगल - मंगल का लाल रंग है, सौंफ, मीठा, शहद या खांड ऐसे व्यक्ति को बहुत प्रिय होगी जो की मंगल कमज़ोर या अशुभ होने की निशानी है यानि की ऐसा व्यक्ति मीठा खाने का बहुत शौक़ीन होगा, उसके पहरावे में लाल रंग उसे सबसे प्रिय होगा। मंगल यदि बद हो तो ऐसा व्यक्ति लाल मिर्च खाने का या वैसे ही उसे तीखा भोजन अधिक प्रिय होगा।
  • बुध - बुध का हरा रंग है, बुध यदि कुंडली में अशुभ हो तो व्यक्ति अंडा, मीट, शराब, कबाब आदि का बहुत शौक़ीन होगा साबत मूंग दाल हरी, मटर, आदि का सेवन अधिक करता होगा और उसे हरा रंग बहुत प्रिय होगा।
  • शनि - शनि का रंग काला है, यदि शनि कुंडली में अशुभ हो तो व्यक्ति काला नमक, काले मांह, काली मिर्च, चने सफ़ेद काले दोनों, मछली, भुने या तले  हुए बादाम, शराब आदि का बहुत शौक़ीन होगा और उसे अपने पहरावे में काला रंग सबसे प्रिय होगा।
  • राहू - राहू का रंग नीला है, कुंडली में राहू के अशुभ अवस्था में होने पर व्यक्ति जौ से बनी चीज़ें जैसे की बीयर, धूम्रपान आदि का बहुत शौक़ीन होगा, उसे नारियल से बनी चीज़ें भी पसंद होंगी और वो अपने पहरावे में नीला रंग सबसे ज्यादा इस्तेमाल करता होगा।
  • केतु - केतु का रंग काला सफ़ेद (दो रंग) या फिर केतु रंगबिरंगा अथवा चितकबरा रंग है, केतु यदि कुंडली में अशुभ हो तो व्यक्ति खट्टा खाने का बहुत शौक़ीन होगा जैसे की इमली, खट्टे अचार, प्याज, लहसून, और केला उसे बहुत प्रिय होगा।

इस प्रकार आप अपने खानपान रंगों के शौक से जान सकते हैं की आपकी जनम कुंडली में कौन कौन से ग्रह अशुभ है और उनकी अशुभता दूर करने के लिए आप उस ग्रह से सम्बंधित चीज़ों का प्रयोग कम या बिलकुल बंद कर दे तो आपको बहुत लाभ होगा और यह बिलकुल आजमाई हुई बात है, विश्वास नहीं तो स्वयं करके देखें।
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