पहला सुख निरोगी काया - बड़े बुजुर्गों ने कहा है,'पहला सुख निरोगी काया' बिलकुल यह बात सत्य है, यदि स्वास्थ्य नहीं तो कुछ भी नहीं चाहे जितनी मर्जी धन दौलत हो सब बेकार है। रूपया पैसा किसी काम का नहीं जब तक की आपका शरीर स्वस्थ नहीं, क्यूंकि यदि आप स्वस्थ हैं तो जीवन के हर सुख का आनंद ले सकते हैं। आईये जाने लाल किताब से की कौन कौन से ग्रहों के अशुभ या कमज़ोर होने पर हमें किस किस प्रकार के रोग या कष्ट आने की सम्भावना रहती है और ऐसी स्थिति में हमें किन किन ग्रहों का उपाय करना चाहिए। जिस साल लाल किताब के वर्षफल अनुसार भाव नंबर ३-८-५-११ या २-६-८-१२ मंदे या उनमे पापी ग्रह या अशुभ ग्रह हो तो उस साल व्यक्ति को अवश्य ही किसी न किसी रोग से जूझना पड़ सकता है, आईये निम्नलिखित बातों से जाने की कौन कौन से रोग हमें परेशान कर सकते हैं-
- जब हाथ की अँगुलियों के नाखून गोल हो और उनका रंग हरा हो जाये तो ऐसे व्यक्ति का शरीर रोगग्रस्त होगा खासकर दिमागी बीमारियाँ होंगी।
- जब नाखून चौड़े और उनका रंग नीला हो जाये तो व्यक्ति को पुठों सम्बन्धी रोग होगा या उसके शरीर में खून की कमी होगी।
- नाखून छोटे और सफ़ेद हो जाएँ तो भी खून की कमी होगी।
- नाखून छोटे और उनका रंग पीला पड़ जाये तो हृदय सम्बन्धी रोग होने की सम्भावना रहती है।
- नाखून मध्यम आकार के हो और उनका रंग काला हो तो व्यक्ति उम्र भर किसी न किसी बीमारी से ग्रसित रहेगा।
- नाखून लम्बे हो और उनका रंग पीला पड़ जाये तो व्यक्ति को फेफड़े और छाती सम्बन्धी रोग होंगे और शरीर कमज़ोर होगा।
- नाखून पतले और काले हो तो उम्र भर बीमार और कमज़ोर होगा।
- नाखून पर जब काला, सफ़ेद, लाल या अन्य रंग के धब्बे हो तो व्यक्ति पीठ की बीमारी से ग्रसित होगा।
- यदि कुंडली में बृहस्पति कमज़ोर हो तो व्यक्ति को सांस व फेफड़े सम्बन्धी रोग होने की सम्भावना रहती है।
- यदि कुंडली में सूरज कमज़ोर हो तो व्यक्ति को दिल सम्बन्धी रोग होने की सम्भावना अधिक रहती है, पागलपन मूंह से झाग निकलना, किसी अंग की ताकत बेकार हो जाना आदि रोग व्यक्ति को घेर सकते हैं।
- जब बुध भाव नंबर १२ में हो और सूरज भाव नंबर ६ में आ जाये (यह स्थिति केवल लाल किताब अनुसार वर्षफल में ही आ सकती है) तो उस साल व्यक्ति को ब्लड प्रेशर की बीमारी होगी।
- चन्द्र कमज़ोर या अशुभ हो तो व्यक्ति को दिल सम्बन्धी रोग या नेत्र रोग होने की सम्भावना रहती है।
- शुक्र यदि कमज़ोर हो तो व्यक्ति को त्वचा सम्बन्धी रोग, खुजली, चम्बल वगैरह रोग होंगे।
- मंगल कमज़ोर हो तो नासूर, पेट के रोग, हैजा, पित्त, मैदा, भगंदर, फोड़े फुंसी आदि तरह तरह के रोग होंगे।
- बुध कमज़ोर होने पर चेचक, दिमागी कमजोरी, अंतड़ियों सम्बन्धी रोग, भोजन नाली में खराबी, ज़ुबान व दांत सम्बन्धी रोग होंगे।
- शनि कमज़ोर होने पर नेत्र दृष्टि कमज़ोर, खांसी, दमा आदि रोग होंगे।
- राहू यदि अशुभ या कमज़ोर हो तो बुखार, दिमागी रोग, प्लेग, हादसा, अचानक चोट आदि से खतरा होगा।
- केतु यदि कमज़ोर हो तो जोड़ों की बीमारी या दर्द, गैस की बीमारी, फोड़े, फुंसी, रसौली, सुजाक, आतशक, पेशाब सम्बन्धी रोग, स्वप्न दोष, कान सम्बन्धी रोग, रीढ़ सम्बन्धी रोग, हर्निया, अंग का उतर जाना आदि रोग से व्यक्ति पीड़ित होगा।
- बृहस्पत राहू या बृहस्पत बुध- कमज़ोर या अशुभ होने पर दमा, सांस की तकलीफ होगी।
- राहू केतु (वर्षफल में) या चन्द्र केतु कमज़ोर हो तो बवासीर, पागलपन, निमोनिया आदि से तकलीफ होगी।
- सूरज शुक्र कमज़ोर होने पर तपेदिक रोग होने की सम्भावना रहती है।
- मंगल शनि कमज़ोर हो तो कोढ़, खून में खराबी, जिस्म या चर्म का फटना आदि से तकलीफ होगी।
- शुक्र राहू से नामर्दी होगी, शुक्र केतु से स्वप्न दोष, बृहस्पत के साथ मंगल बद होने पर पीलिया, चन्द्र बुध या मंगल का टकराव होने पर ग्लैंड्स सम्बन्धी रोग होगा।
Chetan Sud
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