Monday, October 28, 2013

Horoscope Analysis-7 (Lal Kitab)

Native's Birth Data- 15-12-2000, 2327hours, Ludhiana.


मेरी अल्प बुद्धि के मुताबिक मैंने इस कुंडली का जो विश्लेषण किया वो इस प्रकार है-  सबसे पहले तो टेवे की दुरुस्ती की जानी चाहिए..जो की निहायत ज़रूरी है...
चंदर- खाना न० एक में है जिसके बारे में कहा है की ऐसा जातक तरस तरस कर बड़ी मुश्किल और ख्वाहिश से पैदा हुआ होगा, उसके जनम पर वालदैन की हालत और उनकी जायदाद जद्दी भी कोई शानदार नहीं होगी, जो की बिलकुल सही है..इस जातक के साथ भी ऐसा ही हुआ
बुध ४ के बारे में कहा है माँ पर मंदा होगा- यह भी ठीक है क्यूंकि माँ की सेहत कुछ ख़ास अछि नहीं रहती
बृहस्पत १० के बारे में कहा है- सांस की तकलीफ होगी, यह भी सही है क्यूंकि जातक को जनम से सांस की तकलीफ है
राहू ११ में कहा है- जनम से पहले मिले सोने को ख़ाक कर दिखलायेंगे, यह भी बिलकुल सही है जब जातक अभी पेट में था तो घर का सारा सोना बिक गया था..

इस तरह जब तीन चार ग्रहों का फल सही मिलता मालूम हो तो कुंडली ठीक है मान लेंगे...
आईये अब जाने की इस कुंडली पर लाल किताब का कौन कौन सा नियम लागू हो रहा है-
जनम दिन का ग्रह- शुक्कर (काबिले उपाय)
जनम वक़्त का ग्रह- शनि (ग्रह्फल का)
बुध ४= चंदर बर्बाद
राहू ११- बृहस्पत बर्बाद
सूरज केतु मुश्तरका- जिससे सूरज का फल मद्धम होगा
बृहस्पत शनि मुश्तरका- धर्मी टेवा, अब पापी इस कुंडली में बुरा असर नहीं देंगे बल्कि सभी ग्रह धर्मी होंगे
बुध देखता है बृहस्पत शनि को- बुध शनि तो दोस्त हैं, मगर बुध बृहस्पत दुश्मन जिससे बृहस्पत का असर मंदा होगा
मंगल देखता है राहू को- अब राहू चुप होगा
बृहस्पत शुक्कर नीच हैं- न० २ का असर ख़राब होगा
मंगल शनि पक्के घर में हैं
सूरज अपने घर का है
किस्मत का ग्रह - मंगल होगा
कुंडली बालिग़ है
बृहस्पत-चंदर, सूरज बुध, शुक्कर केतु, शनि राहू, बाहम साथी हैं
सूरज केतु- बिल्मुकबिल हैं, बुध शनि भी बिल्मुकबिल हैं
केतु व शुक्कर कुर्बानी के बकरे हैं
६वे घर का मालिक बुध है
आईये दोस्तों अब थोडा आगे चलते हैं और इस कुंडली के १२ घरों पर एक नज़र डालते हैं-
खाना न०१- मालिक मंगल, पक्का घर सूरज का, दोनों उत्तम स्थान में बैठे हैं..सूरज थोडा मद्धम है मगर फिर भी अपने घर में है...न०-१ में चंदर जो की दोनों का दोस्त है, मगर न०७ खाली है अतः चंदर अब सोया हुआ है..न० ८ खाली है अतः राजा (चंदर) की आँख नहीं है...और न०११ में राहू है जो की राजा का दुश्मन है अतः टांगो से भी कोई लाभ नहीं...यानि राजा भटका हुआ है, हाँ मगर जातक इरादे का पक्का होगा
खाना न०२- मालिक शुक्कर, पक्का घर बृहस्पत दोनों नीच...मगर यदि न०२ खाली हो तो असर उम्दा ही लेते हैं, क्यूंकि टेवा धर्मी है अतः शनि अब गुरु का मददगार है
खाना न०३- मालिक बुध, पक्का घर मंगल, दोनों उत्तम..अतः भाईयों का पूरा साथ होगा
खाना न०४- मालिक भी चंदर और पक्का घर चंदर का ही है...yahan बुध baith कर चंदर का फल ख़राब करता है...और चंदर बैठा है अपने दोस्त के घर में अतः माता को सेहत में कमजोरी मगर इससे ज्यादा कोई बुरा असर न होगा
खाना न०५- मालिक सूरज अपने घर में मगर केतु से मद्धम है, पक्का घर गुरु का जो की नीच है...और वैसे भी न०१० और न०५ के ग्रह बाहम दुश्मन होंगे अतः औलाद पर मंदा असर होगा
खाना न०६- मालिक बुध व पक्का घर केतु का, शुक्कर इस घर में नीच है..नानके कोई मददगार न होंगे
खाना न०७- मालिक शुक्कर, पक्का घर बुध...शुक्कर नीच और बुध उत्तम है...अतः गृहस्थ में परेशानी मगर रिजक ठीक होगा
खाना न०८- मालिक मंगल और पक्का घर शनि...दोनों उत्तम हैं...लम्बी उम्र होगी
खाना न०९- मालिक भी गुरु और पक्का घर भी गुरु का...गुरु नीच है...बुजुर्गों से कोई लाभ नहीं या जनम पर कोई खास नेक हालत नहीं होगी
खाना न०१०- किस्मत का मैदान, कुंडली टिकी ही इन दो ग्रहों पर है...मालिक शनि अपने घर में और साथ में गुरु..टेवा धर्मी है..अब पापी कोई बुरा असर ना देंगे...हर एक का मददगार और सुख देने वाला होगा..उम्र का २-४-६-१३-१५-१७-२१-२७-३०-३३-३४-३८-४२-४५-४६-५०-५१-६७ वां साल मंदा धोखा होगा
खाना न०११- उम्र का ११-२३-३६-४८-५७-७२ वां साल राहू उम्दा असर देगा..मंगल ३ के कारण राहू चुप होगा..कोई मंदी शरारत नहीं करेगा..जब तक पिता का साया होगा सांप भी सजदे करेगा..उम्र का ७-२०-३४-४५-५३-६७-७९ वां साल राहू मंदा असर देगा..
खाना न०१२- खाली है..रात का आराम पूरा होगा..
अब आगे का विश्लेषण-
सोये हुए घर- जिस घर में कोई ग्रह न हो या जिस घर पर किसी ग्रह की दृष्टि न हो वो घर सोया होगा
उपरोक्त टेवे में २-७-८-९-१२ घर खाली हैं
(अ)- न०२ को न०८ देखता है, मगर दोनों खाली अतः दोनों घर सोये हुए हैं
(ब)- न०७ को न०१ का चंदर देख रहा है अतः न०७ सोया हुआ नहीं है
(स)- न०९ को न०३ का मंगल व न० ५ के सूरज केतु देख रहे हैं अतः न०९ भी सोया हुआ नहीं है
(द)- न० १२ को न० ६ का शुक्कर देख रहा है अतः न० १२ भी सोया हुआ नहीं है
संक्षेप में खाना न० २-८ दोनों ही सोये हुए हैं, यहाँ खाना न० २ को जगा लेना मददगार होगा जो की चंदर से जागेगा...

सोये हुए ग्रह- जिस ग्रह के दृष्टि के मुकाबले पर कोई ग्रह न हो वो ग्रह जो की खुद पहले घरों का है सोया हुआ होगा
(अ)- चंदर १ और नंबर ७ खाली अतः चंदर सोया हुआ है
(ब)- मंगल ३ और राहू ११ अतः दोनों ग्रह जाग रहे हैं
(स)- बुध ४ और बृहस्पत शनि १० अतः तीनो ग्रह जाग रहे हैं
(द)- सूरज केतु नंबर ५ और नंबर ९ खाली अतः सूरज केतु दोनों ही सोये हुए हैं
(इ)- शुक्कर नंबर ६ और नंबर १२ खाली अतः शुक्कर सोया हुआ है
सोये हुए घर या ग्रह का अर्थ यह है की वह ग्रह या घर सब कुछ होते हुए भी अपना कोई नेक असर नहीं देगा
ग्रह का जागना- (ग्रह का अपने आप जागना)-
(अ)- चंदर, तालीम ताल्लुक से या २४ साल उम्र के बाद और अपने जागने के पहले और २५वे साल मंदा असर देगा यानि २४वे साल और ४९वे साल में
(बी)- सूरज सरकारी नौकरी करने के दिन से या २२ साल उम्र से और अपने जागने के दुसरे या २४वे साल मंदा असर देगा यानि की २३वे और ४६वे साल
(स)- शुक्कर, शादी के दिन से या २५ साल की उम्र से और अपने जागने के ३रे और २८वे साल मंदा असर देगा यानि की २८वे और ५३वे साल
(डी)- केतु, औलाद के जनम से या ४८ साल उम्र के बाद और अपने जागने के ५१वे साल मंदा असर देगा

सोया हुआ ग्रह अपने जागने के बाद कब मंदा असर नहीं देता- सोये हुए ग्रह को जगाने वाले घर के (बहैसियत पक्का घर का मालिक) के मुताल्लक ग्रह का रिश्तेदार कायम हो तो सोया ग्रह जागने पर मंदा असर नहीं देगा
उदाहरण के लिए- उपरोक्त कुंडली में जैसे की सूरज, चंदर, शुक्कर, केतु सोये हुए हैं...अब अगर...
(अ)- चंदर सोया है...क्यूंकि खाना नंबर ७ खाली है..नंबर ७ है शुक्कर का पक्का घर, अब यदि माता का शुक्कर (पति) यानि की जातक का पिता जिंदा होगा तो चंदर का कोई मंदा असर नहीं होगा
(बी)- सूरज सोया है..क्यूंकि नंबर ९ खाली है..खाना नंबर ९ है पक्का घर गुरु का, सूरज है खुद जातक और गुरु है उसका बुजुर्ग, अब यदि जातक के बुजुर्ग जिंदा होंगे तो अपने आप जागने पर सूरज कोई मंदा असर नहीं देगा
(स)- केतु भी सोया है..क्यूंकि नंबर ९ खाली है..केतु है लड़का और गुरु है बुजुर्ग..अब यदि जातक के पिता जो की उसकी औलाद के बुजुर्ग हुए जिंदा होने पर केतु का अपने आप जागने पर कोई मंदा असर नहीं होगा
(डी)- शुक्कर सोया हुआ है..क्यूंकि नंबर १२ खाली है...शुक्कर है औरत (पत्नी) और नंबर १२  है राहू का पक्का घर और राहू है ससुर..अब यदि जातक की पत्नी का ससुर यानि की खुद जातक का पिता जिंदा हुआ तो अपने आप जागने पर शुक्कर कोई मंदा फल नहीं देगा
आईये दोस्तों अब इस कुंडली पर और आगे की चर्चा करते हैं-
इस कुंडली में कोई भी ऋण नहीं बनता, कोई भी महादशा कुंडली पर लागू नहीं होगी, चंदर कुंडली का असर शादी के बाद शुरू होगा वो भी औरत का हाल देखने के लिए..

मुश्तरका घरों का असर :-
खाना न० १-७-८-११ का असर- अब इस कुंडली का राजा चंदर है, राजा का कोई वजीर नहीं और न ही राजा की आँखें है, टाँगे हैं राहू और वो भी चंदर का दुश्मन है...मगर फिर भी राजा को सीधे तौर से कोई नुक्सान न देगा क्यूंकि राहू का हाथी मंगल के महावत के  काबू में है और वैसे भी धर्मी कुंडली में पापी ग्रह बुरा असर नहीं करते..हाँ मगर राजा चंदर की कोई मदद भी नहीं करेगा..

खाना न० २-६-८-११-१२ का मुश्तरका असर- इस कुंडली में खाना नंबर २-८-१२ खाली हैं, कुदरती धोखे या मंदे चक्कर कभी नहीं होंगे..साधू की समाधी और रात का आराम पूरा होगा...२-८ खाली हो तो वैसे ही कुंडली अपने आप उत्तम हो जाती है..

खाना न० ३-५-९-१०-११ का मुश्तरका असर- बुजुर्गो की हालत कोई खास नहीं होगी, पिता की हालत जनम से ठीक हो जाये तो ठीक..भाई के जनम से या २८ साल उम्र से जवानी में बढ़ता जायेगा...औलाद के पैदा होने के दिन से दिन दुनी रात चौगुनी तरक्की करेगा..कुदरत और किस्मत की तमाम मुश्किलात को शनि की तलवार काटती चली जाएगी...

खाना नंबर २-४-१०- का मुश्तरका असर- किस्मत का सरोवर भी है और उसमे पानी भी है...मगर उस तक पहुँचने का जरिया चंदर बताएगा...जो की नंबर की मार्फ़त होगा..अतः नंबर २ को चंदर की मदद से जगा लेना उत्तम होगा..मगरमच्छ की सवारी से किस्मत के सरोवर तक पहुँच ही जायेगा...बशर्ते खुद मगरमच्छ जैसा हो..
दोस्तों, अभी तक हमने देखा की इस कुंडली पर व्याकरण के कौन से नियम लागू हुए और क्यों..अब आगे हम इस कुंडली पर पड़ने वाले ग्रहों के प्रभाव की समीक्षा करेंगे..
सबसे पहले बृहस्पत, क्यूंकि बृहस्पत इस कुंडली में अकेला नहीं है शनि के साथ है..अतः बृहस्पत और शनि का इकठ्ठा प्रभाव देखना होगा:
क्यूंकि बृहस्पत और शनि के इकठ्ठे होने के कारन यह कुंडली धर्मी है अतः जातक हरेक के लिए मददगार और सुख देने वाला होगा..सन्यासी फ़कीर की माया जिसका भेद न खुल सके..किस्मत का फैसला नंबर ११ का राहू करेगा जो की धर्मी है और मंगल के कारण चुप भी है..बृहस्पत शनि दोनों इकठ्ठे जातक की ३४ साल उम्र तक माता पिता की उम्र वास्ते और ४३ साल उम्र तक धन दौलत के लिए इकठ्ठे फल देंगे..लोहे की तलवार तमाम दुनिया की मंदी हवा को कटती हुई चली जाएगी..यदि जातक अपनी किस्मत पर सब्र और संतोष करने वाला होगा तो शनि की माया बृहस्पत के पांवों की गुलाम होगी..दोनों ग्रहों का फल उम्दा होगा, जातक में सोच विचार की ताकत कमाल की होगी, ज़िन्दगी में आगे बढ़ने की चाह होगी, खुद्दार मगर ईर्ष्या से बरी होगा..श्री गणेश जी की तरह इज्ज़त का मालिक होगा..बृहस्पत धन देता जायेगा, शनि उसे खर्चता जायेगा..शराबखोरी से दोनों का फल बर्बाद होगा..मुफ्तखोरी से बुढापे में तकलीफ होगी..शनि की चुस्ती और चालाकी अपनाने से शेषनाग के सिंहासन की तरह छाया देने वाला होगा..एक जगह बैठ कर करने वाले काम लाभ देंगे..धर्मी कर्मी होने से गरीबी पायेगा..३४ और ४६ साल में ससुराल से लाभ..४८ साल उम्र से पहले अपने नाम पर मकान न बनाये..दूरंदेशी और होशियार होगा..बुध का दोनों पर कोई मंदा असर न होगा..बल्कि बुध के साथ से उत्तम मछ रेखा हर तरफ बरकत होगी..
दोस्तों, अभी तक हमने देखा की किस तरह से व्याकरण के नियमों के आधार पर ग्रहों के फल में अंतर आ जाता है..हमने जाना की इस कुंडली में जैसे की बृहस्पत नीच भी है और बुध उसे देख रहा है तब भी बृहस्पत का कोई बुरा असर जातक को नहीं मिला..कारण साफ़ है क्यूंकि व्याकरण और ग्रहों के मुश्तरका फल से हरेक ग्रह के अपने निजी फल में अंतर आ जाता है..
अब एक और चौंकाने वाली बात इस कुंडली में पता चली की राहू और केतु का अपना हर तरह का असर इस कुंडली में सिफर होगा..पहले तो अभी तक हम यही समझ रहे थे की राहू केतु धर्मी हैं और राहू मंगल के आगे चुप है, मगर अब तो तस्वीर ही बदल गयी..राहू केतु का अपना जाती असर इस कुंडली में सिफर है..जो की एक तरह से अच्छा ही है क्यूंकि इससे जहाँ एक और सूरज का अपना असर बहाल और प्रबल होगा वहीँ दूसरी और राहू का नंबर ११ में होने से भी कोई मंदा असर न होगा..और ऐसा ही हुआ भी है..सूरज के असर से जातक इंसानी शराफत और दुनियावी मर्यादा का पालन करता, जनम से किस्मत का धनी, जो खर्च करेगा उसकी औलाद को सूद समेत वापस मिलेगा, ईर्ष्या से दूर रहेगा तो दिल की हरेक इच्छा पूरी होगी, २२ साल की उम्र से राजदरबार में बुलंद मर्तबा बल्कि जनम से ही नेक फल और जू जू बढेगा तरक्की करेगा, औलाद पैदा होने के दिन से चौगुनी तरक्की, हाँ मगर औरत के सुख में कमी होगी, जितना साफ़ दिल उतना उत्तम और बुढ़ापा उम्दा होगा..२४ साल तक तालीम पायेगा, तालीम उम्दा और उस पर लगाया पैसा सूद समेत वापस आयेगा..तालीम हर तरह से मददगार होगी, जब तक माता का हुक्म बजाता रहेगा ज़र, दौलत की बरकत होती रहेगी..सरकार से फायदा उठाने वाला, हाथों में इल्म बरकत देगा, दूध गया तो कुल भी गया, लम्बी उम्र होगी, औलाद का सुख होगा, समंदर पार सफ़र से मोती पैदा होंगे, २५ से २७ साल की उम्र में औरत से दूर रहना ही अच्छा होगा..बल्कि शादी तो २८ साल उम्र के बाद ही करे, अपनी पत्नी को गर शान से रखेगा तो दौलत के महल बनते जायेंगे, लड़कियां ज्यादा होंगी, ६० साल धन आएगा, बहिन या भाई ज़रूर होंगे मगर होंगे देर बाद, ससुराल अमीर होगा, राजयोगी और हुनर मंद होगा, धन होगा मगर दिल की शांति से महरूम होगा..

Horoscope Analysis-6 (Lal Kitab)

Native's Birth data- 14-12-71, 1550hours, khanna Punjab.


सबसे पहले टेवे की दुरुस्ती ज़रूरी है,
बृहस्पत न०-७- बहन बुआ बेवा, बाबे को दमा, औलाद को तरसे, मुतबन्ना (दत्तक पुत्र) भी दुखी, घर में ताबीज होना चाहिए..मगर ऐसा कुछ भी नहीं है..सिवाय की बाबे को दमा था और ४ में से ३ बुआ बेवा हैं..फिर ध्यान गया की क्यूँ न बृहस्पत को एक घर आगे या पीछे घुमा कर देखा जाये...बृहस्पत खाना न० ८ में रख कर देखा गया...एक चाचा घर से भाग कर साधू बन गए और अभी भी साधू का जीवन ही बिता रहे हैं..जातक की १३ साला उम्र में ही बाबा चल बसा जिनमे से १० साल बाबा जातक से अलग रहा..इस तरह मेरे विचार में बृहस्पत का फल खाना ८ से मिलता मालूम हुआ.
सूरज न० ७- आँगन गली के बिलकुल साथ है और उस पर कोई छत नहीं है
चंदर ६- जनम अमावस के नज़दीक है
शुक्कर ८- औरत सख्त सवभाव की, जातक को एक तरह का गुप्त रोग फिश्ला की प्रॉब्लम है
मंगल १०- पिता खुद चार भाई और जातक खुद दो भाई...मंगल को भी एक घर आगे घुमाया..पिता अमीर और जातक करजाई
शनि १- काग रेखा का फल देगा
राहू ९- दहलीज के नीचे से सीवर की नाली और बुजुर्गों से कोई लाभ नहीं
केतु ३- हमसाया दीवार के साथ लगता प्लाट खाली जो की लोगों के कूड़ा करकट फेंकने के काम आवे
मेरे अपने विचार में उपरोक्त कुंडली में केवल बृहस्पति और मंगल को छोड़ कर बाकी ग्रह वही हैं जहाँ की होना चाहिए बृहस्पत और मंगल एक घर आगे का फल देते हुए लग रहे हैं..
आईये दोस्तों अब इस कुंडली पर आगे चर्चा शुरू करते है...मगर आगे बढ़ने से पहले मैं अपनी गलती दुरुस्त करना चाहता हूँ..इस जातक का बृहस्पत न० ७ का ही असर दे रहा है जैसा की प्रभाकर जी ने स्पष्ट किया और मंगल भी अपनी जगह न० १० का ही है...गलती के लिए माफ़ी चाहता हूँ...
टेवा दुरुस्ती के बाद यह देखना बड़ा ज़रूरी है की कुंडली पर व्याकरण के कौन कौन से नियम लागू हो रहे हैं..तभी हम कुंडली का विश्लेषण ठीक ढंग से कर पाएंगे..
सूरज बुध इकठ्ठे हो तो मंगल नेक होगा मगर इस कुंडली में शनि देख रहा है सूरज को अतः मंगल बद भी है..ऐसी स्थिति में राहू भी नीच होता है अब राहू वैसे भी घर बैठक के लिहाज से भी नीच है..
चंदर शुक्कर २५% दृष्टि रख रहे हैं और चंदर दुश्मनी करता है शुक्कर से
शनि देख रहा है १००% दृष्टि से बृहस्पत, सूरज और बुध को जहाँ बृहस्पत शनि बराबर, सूरज शनि दुश्मन, बुध शनि दोस्त है...
कुंडली में शनि मंगल साथी हैं तो शनि बुध दोस्त होते हुए भी बिल्मुकबिल हैं क्यूंकि शनि की जड़ में मंगल जो बुध का दुश्मन है और बुध की जड़ में चंदर जो शनि का दुश्मन है...
कुंडली में मंगल नेक व बद दोनों मौजूद अतः शनि अब बुध की चाल चलेगा..
जब शनि तख़्त पर हो तो चंदर १/३ और केतु १/२ होगा..
सातवें सूरज रिजक व धन के वास्ते गड़ा पत्थर होगा..
जहाँ से किस्मत का आगाज़ होता है वहां राहू का हाथी रास्ता रोक कर खड़ा है..
खाना न० ५ और ४ सोये हुए है...तालीम ताल्लुक से चंदर जागेगा, शादी से शुक्कर और औरत के ताल्लुक से मंगल जागेगा..
अपने से सातवें का उसूल- (केवल बंद घरों में मुकरर है)- शनि न० १ में नीच है और अपना नीच फल वैसे का वैसा ही न० ७ में बैठे बृहस्पत, सूरज और बुध में मिला देगा और नीच कर देगा..
अपने से बाद के सातवें का उसूल- (तिकोन घरों में मुकरर है)- केतु ३ में नीच है मगर अपने से सातवें राहू के लिए उल्टा फल देगा मतलब ससुराल हालत उच्च होगी खासकर केतु से मुताल्लक अश्या में..
अब आगे कुंडली विश्लेषण- शनि की उम्र है ३६ साल, यानि शनि असर करेगा ३६ साल तक और साथ ही हर ग्रह अपने आधे या १/४ पर भी असर करता है ९-१८-३६, शनि तख़्त पर बैठा नीच है, "पाप टेवे में जब हो मंदा काग रेखा बन जाती, मालिक ख्वाह हो तख़्त हजारी मिटटी कर दिखलाती" राहू केतु दोनों नीच अतः शनि मंदा और नीच फल ही देगा और न० १ का शनि खुराक, रिजक और माया दौलत पर असर करता है...शनि की १००% दृष्टि न० ७ में बैठे बृहस्पत, सूरज और बुध पर..अब बृहस्पत जिसकी उम्र है १६ साल अपना कोई नेक असर नहीं देगा..बृहस्पत है भी मंदा..इसलिए बृहस्पत सोने की जगह मिटटी होगा, धन दौलत हल्का होगा, ९-१८-३६ में बृहस्पत को नुकसान (जातक ने बताया की ३६वे साल उनके घर से सारा सोना चोरी हो गया था), औलाद दुखी, कर्जा, बुजुर्गो की कोई मदद नहीं या न ले सकेगा, हाँ मगर स्त्री धन से बरकत होगी और यही हो भी रहा है जातक की पत्नी बूटीक चलाती जातक का अपना काम तो नुक्सान में ही है
सूरज जिसकी उम्र है २२ साल..अब सूरज ग्रहण का नज़ारा होगा..जिस्मानी कमजोरी, राजदरबार से कोई फायदा नहीं, झगड़ों का फैसला भी हक़ में नहीं होगा..बृहस्पत सूरज दोनों का फल जला होगा, किस्मत की कोई चमक नहीं, हर काम में नाकामी,
बुध ये असर करता है ३४ साल में, जातक ने ३४ साल की उम्र में माँ बाप से अलग होकर नौकरी शुरू की (३९वे साल से अपना कारोबार शुरू किया), यहाँ बुध ने बृहस्पत से अपनी दुश्मनी दिखा दी बेटे को बाप से अलग कर दिया..मगर बाप से अलग होकर भी जातक सुखी नहीं..क्यूंकि किस्मत और रिजक तो बाप के चरणों में ही छोड़ आया था..
इस तरह तीनों ही ग्रहों (सूरज, बृहस्पत, बुध) पर शनि ने अपनी कालिख पोत दी, तीनो अपने पहले चक्कर में निष्फल हुए...
चंदर जो की बैठा है न० ६ में और जिसकी उम्र है २४ साल, जब सूरज में ही कोई चमक नहीं तो चंदर अपनी चमक कहाँ से देगा...जनम भी अमावस के नज़दीक है..हाँ तालीम होगी मगर तकलीफों से...२४ साल तक शुक्कर का फल खराब करता रहेगा...
शुक्कर न० ८ जिसकी उम्र है २५ साल- कोई नेक असर न देगा अपने पहले दौरे में शुकर का फल भी निष्फल जायेगा..२००५ में जब जातक लुधियाना आया तो उसके जातक की पत्नी ने पहले नौकरी की बाद में अपना बूटीक खोला..तब से अब तक वो जातक के साथ मिलकर घर चला रही हैं..गौर करने वाली बात है की यह उम्र का साल बुध का है और बुध बैठा है न०७ में जब बृहस्पत और सूरज की उम्र ख़त्म हुई अब बुध अकेला असर करने वाला है और बुध को शनि भी देख रहा है...निजी तौर पर दोनों दोस्त है (बिल्मुकबिल है मगर अब मंगल ३३ पर ख़त्म और चंदर तो पहले ही २४ पर ख़त्म) यानि अब दोनों की दुश्मनी भी ख़त्म और दोस्ती बहाल हुई..और स्वयं जातक भी अलग हुआ पिता से (बुध ने बृहस्पत से दुश्मनी दिखा दी, मगर शुक्कर से दोस्ती कायम रखी) और शुक्कर (पत्नी) भी जातक के साथ कंधे से कन्धा मिला कर कमाने लगी..
मंगल न० १० में है अतः जैसा शनि होगा वैसा मंगल का फल होगा, शनि नेक नहीं तो मंगल भी अपना नेक फल नहीं देगा..बल्कि बद ही होगा..मंगल १० का होकर भी कोई काम न आयेगा..
बुध ७- दूसरों के लिए पारस, राहू केतु मंदे हो तो बुध भी मंदा ही होगा...अतः व्यापार भी बेमानी होगा...कोई खास लाभ नहीं होगा...मगर करेगा व्यापार ही...
राहू ९- खुदमुख्तारी अछि नहीं, खानदान से अलग नहीं होना चाहिए..मैंने पहले ही इशारा किया था की किस्मत और रिजक तो बाप के चरणों में छोड़ आया है...किस्मत के दरवाजे पर राहू का हाथी अपने वजन से दरवाजे को बंद किये खड़ा है...और राहू की उम्र है ४२ साल..अतः ४२ साल तक किस्मत का कोई नेक असर नहीं...और अगर कुंडली में ग्रहण हो तो ४५-४८ तक सब मंदा और ग्रहण का नज़ारा..केतु भी नीच और राहू भी नीच...बुजुर्गो से दूर, भाई है नहीं...संक्षेप में ४२ के बाद किस्मत का असर शुरू होगा..४८ के बाद ग्रहण हट जायेगा...और जातक को फायदा होगा..व्यापार भी फलेगा..दुसरे दौरे में ग्रहों का फल नेक होगा नेक ज़माना आने की उम्मीद है...ग्रहचाल के मुताबिक सभी संभव उपाय बता दिए गए हैं..कर लेगा तो मंदा वक़्त आराम से कट जायेगा...उपरोक्त सभी बातें जातक से पूछ कर तस्दीक कर ली गयी हैं...फिर दुनियावी हिसाब किताब है कोई दावा-ए- खुदाई नहीं...गलती बताने वाला मेरा मददगार होगा...सादर चेतन..

Horoscope Analysis-5 (Lal Kitab)

Native's Birth data- 12-5-62, 11:17am, delhi


आदरणीय मेम्बेर्स, कोई भी कुंडली देखने से पहले यह सुनिश्चित करना बहुत ज़रूरी है की क्या वो कुंडली ठीक भी है या नहीं इसके लिए परम पूज्य पंडित जी ने कुंडली की दुरुस्ती कैसे की जाती है इसके बारे में विस्तार से बताया है इसके अलावा मेरे कुछ मित्र मेरे सिनिअर्स का भी आशीर्वाद मुझे समय समय पर मिलता रहता है.
आदरणीय योगराज जी ने भी अपनी टिप्पणी में यही बात हम सबको समझाई है अब शुरुआत करते हैं कुंडली की दुरुस्ती से-
इस जातक का बृहस्पति खाना ८ में बैठा है और खाना ८ के बृहस्पत के बारे में पंडित जी ने कहा है की जातक का बाबा या बाप कभी इक्कठे न होंगे या बाबा (बाप) की उम्र ८ साल या फिर ८० से कम न होगी मगर दोनों इक्कठे न रहेंगे और इस बारे जातक से पूछने पर पता चला की जातक का बाप ९० साल का है मगर जातक से अलग रहता है
बृहस्पति खाना ८ की एक और बात मैंने जो की कई कुंडलियों पर आजमाई है वो यह की जिस भी जातक का बृहस्पति ८ में होगा उसके परिवार का कोई न कोई बुजुर्ग घर से भागकर साधू या सन्यासी बन जाता है और इस जातक के साथ भी ऐसा ही हुआ है इनके एक चाचा घर से बहुत पहले चले गए थे और बाद में पता चला की वो कोई सन्यासी बन गए हैं
चंदर खाना नंबर २ के बारे में पंडित जी ने कहा है की २४ कदम तक कुआँ बल्कि मकान के अन्दर ही कुआँ होगा जब मैंने इस बाबत जातक से पूछा तो पता चला की घर में बोरिंग है और अब तक जातक ने तीन घर बदले हैं और जहाँ जहाँ भी रहे घर में बोरिंग ज़रूर थी, पुराने ज़माने में कुँए आम होते थे मगर अब आजकल कुयों की जगह बोरिंग ने ले ली है
चंदर २ की एक और सिफत पंडित जी ने बताई है वो ये की ऐसे जातक का जनम चौबारे पर होगा जिसके निचे कुआँ या पानी होगा जब इस बाबत जातक से पूछा तो उसे कुछ नहीं पता था मगर एक बात ज़रूर सामने आई अब तक वो जहाँ भी रहा फर्स्ट फ्लोर पर ही रहा आज भी जिस घर में वो रहता है वो पूरा घर उसका अपना है और ग्राउंड फ्लोर पर उसके बेडरूम भी है मगर फिर भी जातक फर्स्ट फ्लोर पर ही रहता है - है न चौंकाने वाला तथ्य
शुक्कर ११ हो तो जातक या उसकी पत्नी के कुल तीन भाई बहन जिंदा होंगे और जातक ने बताया की उसका एक साला और एक साली है
मंगल ९ के बारे में कहा है की जितने बाबे उतने आप भाई- जातक के पिता भी दो भाई जिंदा है एक मर गया था, जातक भी दो भाई है और एक भाई मर गया था
राहू १ के बारे में पूज्य पंडित जी ने कहा है की १८-२० साल की आयु में कोई न कोई कष्ट चोट चोरी धोखा होगा- जातक से जब पूछा गया तो पता चला की जातक को उस दौरान pyar में धोखा मिला था
इसी तरह राहू १ वाले के जनम समय सख्त आंधी बारिश या सामने घर का हाल मंदा या वीराना या लाव्ल्द का साथ होगा- पूछने पर पता चला की अब तक जातक जहाँ जहाँ भी रहा तो पड़ोस में कोई न कोई लाव्ल्द ज़रूर था
केतु ७ और सूरज १० भी पड़ोस में लाव्ल्द होने का संकेत देते हैं

ऐसे और कई बहुत संकेत हैं जिनके द्वारा हम कुंडली की दुरुस्ती कर सकते हैं -
आप सबके विचार आमंत्रित हैं कृपया अपनी राय ज़रूर दे- आदर सहित चेतन सूद 
दोस्तों, अब तक तो हमने कुंडली की दुरुस्ती की जांच की और लगभग सही पाया की कुंडली ठीक है
अब आगे कुंडली से जातक को किस तरह के फल मिलेंगे या मिले है इस बाबत चर्चा शुरू करनी चाहिए, इसमें मैं आप सबका सहयोग और आशीर्वाद चाहता हु
कुंडली विश्लेषण -
१. उम्र का साल जारी = ५०
२. जनम दिन का ग्रह= शनि
३. जनम वक़्त का ग्रह= मंगल
४. ऋण= शनि का
कुछ खास बातें- मसनुई सूरज (बुध+शुकर) ११वे खाने में
बृहस्पत- को राहू की टक्कर
सूरज -को शनि केतु से धोखे की दृष्टि और चंदर से दोस्त दृष्टि
चंदर -उच्च भी है और किस्मत को जगाने वाला भी मगर शनि केतु से टक्कर और सूरज उसकी बुनियाद है तोह बुध शुकर से धोखा
शुक्कर -की बुनियाद शनि केतु, बृहस्पत से धोखा, और मसनुई शुक्कर भी खाना ७ में मौजूद
मंगल -और चंदर की टक्कर नेक फल देने वाली है
बुध- शनि केतु उसकी बुनियाद तो गुरु से धोखा दृष्टि
शनि- उच्च तो है मगर जाती उसूल से पापी है, बुध शुकर से दोस्त दृष्टि
राहू- सूरज को ग्रहण लगाएगा
आईये अब इस कुंडली पर आगे चर्चा शुरू करें-
राहू बैठा है खाना नंबर १, खाना १ जिसे तख़्त भी कहा गया है "हाथी बैठा तख़्त पे तख़्त थर्राने लगा, सूरज बैठा जिस भी घर में ग्रहण वहां आने लगा", मगर साथ ही ये भी कहा गया है की बुध शुक्कर जब इकठ्ठे हो तो सूरज ग्रहण नहीं होगा..जातक २८ साल तक अपने परिवार के साथ रहा और उसका काम भी राजदरबार से ही सम्बंधित था, २८वे साल परिवार से अलग हुआ और २८ से ३८ साल तक भी उसका काम खूब चला..यहाँ सूरज ग्रहण ने संभवत काम पर असर नहीं डाला मगर हाँ जातक बचपन से ही पेट की तकलीफ से परेशां रहा संभवत मंगल बद के कारन (हाथ पर भी तिकोन मौजूद है) ...राहू शनि केतु तीनों के मिलने के कारन तीनो पापी है अतः बृहस्पत का कोई खास नेक असर नहीं
एक खास बात कुंडली में कोई भी गृह सोया हुआ नहीं शादी के दिन से शुक्कर जाग पड़ा (साला मौजूद), और लड़के के जनम से बुध जाग पड़ा (लड़की का भाई ) ..बुध शुक्कर जागने (मसनुई सूरज) के बाद से ही लगभग जातक ने काम में काफी तरक्की की जैसे की पता चला...बुजुर्गों की लम्बी उम्र होगी जो की है भी, जातक जिंदादिल, हार न मानने वाला, मेहनती, दौलतमंद हो या न हो मगर दुनिया का हर आराम होगा और यह सही भी है..जिस्मानी परेशानी आम, किस्मत की कोई ख़ास चमक नहीं, ज़िन्दगी खानापूरी का नाम होगी..चंदर जो की किस्मत का ग्रह भी है कोई ख़ास नेक नहीं क्यूंकि राहू के कारन चंदर १/२ होगा और १-२-७-१०-११ में अधिकतर चंदर के दुश्मन ग्रह है..३८वे साल के बाद काम में कोई ख़ास तरक्की नहीं लगभग शनि की उम्र से काम में गिरावट (शनि पापी), जातक शराब और अंडा खाने वाला है..आये चलायी तो है मगर कुछ ख़ास नहीं..
अब इससे आगे...जातक की उम्र का ५०व साल चल रहा है..५० साल के बाद सूरज ग्रहण का असर कम होगा जातक को कुछ रहत होगी..भाई से भी अब दुबारा सुलह हो गयी है..हर संभव उपाय भी बता दिए गए हैं जैसे जैसे करता जायेगा ठीक होता जायेगा..बालों में जू जू सफेदी आएगी चंदर का नेक फल मिलना शुरू हो जायेगा...
गलती बताने वाला मदगार होगा...आप सभी की राय आमंत्रित है...आदर सहित..चेतन सूद

Horoscope Analysis-4 (Lal Kitab)

Native's Birth details- 12-12-65, 09:30am, delhi.



"दुनियावी हिसाब किताब है कोई दावा ए खुदाई नहीं"
"घर पहला जब राज हुकूमत, सात वजीरी होता है
हर दो से कोई दुश्मन होवे, साथ फकीरी होता है"
"घर चलकर जो आवे दूजे, ग्रह किस्मत बन जाता है,
घर १०वा गर खाली होवे, सोया हुआ कहलाता है"
शुक्कर-१ और चंदर -७ , यानि मिटटी का तख़्त पानी की ज़मीन पर एक दिन तो डूबेगा ही
सूरज बुध मुश्तरका= मंगल नेक है
मंगल शनि मुश्तरका= राहू उच्च
शुक्कर शनि मुश्तरका= केतु उच्च
जनम दिन का ग्रह सूरज
जनम वक़्त का ग्रह सूरज
शनि देखता है बृहस्पत को
बृहस्पत देखता है मंगल को
सूरज बुध केतु मुश्तरका, सूरज के लिए बुध बराबर, सूरज केतु से मद्धम होगा
शुक्कर देखता है चंदर को
मंगल के लिए शनि बराबर और बृहस्पत दोस्त
बुध के लिए सूरज दोस्त और केतु बराबर
केतु के लिए बुध सूरज दोनों बराबर
बृहस्पत चंदर साथी और शुक्कर शनि भी साथी है, बृहस्पत बुध केतु भी साथी है

प्रशन- क्या आपको जिस्मानी कमजोरी है?
उत्तर- हां सेहत ठीक नहीं रहती ४-५ साल से
प्रशन- क्या आपको लगता है की आपके द्वारा लिए गए फैसले गलत हो जाते है?
उत्तर- जी हाँ
प्रश्न- क्या आपका अपनी जुबां पर काबू नहीं है?
उत्तर- जी हाँ मेरा अपनी जुबां पर बिलकुल काबू नहीं है कभी कभी ऐसी कडवी भाषा बोल देता हु जो नहीं बोलनी चाहिए
प्रश्न- क्या १२-२८-३६ साल में नज़र कमज़ोर हुई?
उत्तर- जी हाँ १२ साल की आयु में ही चश्मा लगा था
प्रश्न- क्या १८ साल उम्र में पिता पर कोई कष्ट?
उत्तर- जी नहीं भगवान् की कृपा से वो बिलकुल तंदुरुस्त है
प्रश्न- क्या २७वे साल आपका मकान तो नहीं बिका?
उत्तर- २७वे साल मकान गिरवी रखा था जो आज तक नहीं मिला
प्रश्न- क्या आप २३ साल की उम्र में ही कारोबार में आ गए?
उत्तर- जी नहीं २० वर्ष की आयु में ही कारोबार से जुड़ गया था
प्रश्न- तो क्या २३वे साल से तरक्की शुरू हुई?
उत्तर- हाँ २३वे साल से तरक्की ज़रूर मिली थी
प्रश्न- क्या ११ या २४वे साल आप पर कोई जिस्मानी कष्ट आया था?
उत्तर- नहीं २६वे साल आया था जिस वजह से हास्पिटल जाना पड़ा
प्रशन- क्या १२वे साल माता पर कोई कष्ट?
उत्तर- नहीं
अब तख़्त पर बैठा शुक्कर राजा और सातवें चंदर उसका वजीर है, शुक्कर (राजा) के लिए चंदर (वजीर) उसका दुश्मन है अत: ऐसी रियासत कब तक चलेगी जहाँ वजीर ही राजा का दुश्मन हो यानि मिटटी का तख़्त पानी की ज़मीन पर कितनी देर चलेगा, आँखें इस राजा की है नहीं और तीन टांगों से कब तक भागेगा वो भी बिना आँखों के
प्रश्न- क्या जवानी में आप खूब रसिक मिजाज़ थे या क्या शादी से पहले आपके किसी से प्रेम सम्बन्ध थे?
उत्तर- हाँ शादी से पहले मैं किसी को चाहता था मगर शादी के बाद मैंने कभी किसी को बुरी नज़र या उस नज़र से  नहीं देखा 
प्रश्न- क्या आपका व्यापार फैशन या कपडे से सम्बंधित है या औरतों से ताल्लुक रखने वाला कारोबार है?
उत्तर- हाँ हम एक्सपोर्टर्स को कपडा सप्लाई करते हैं
प्रश्न- क्या घर में ठाकुर जी हैं?
उत्तर- हाँ उनकी काफी बड़ी मूर्ती दीवार पर बनवाई हुई है
प्रश्न- क्या आपके मामो का आपको सहयोग या सुख मिला?
उत्तर- नहीं कभी नहीं
प्रश्न- क्या कभी किसी आग की घटना की वजह से आपका कोई बहुत बड़ा नुक्सान हुआ?
उत्तर- हां जब मैं ११ साल का था तो हमारा माल से भरा ट्रक पूरा जल कर राख हो गया था जिसमे काफी नुक्सान हो गया था
प्रश्न- क्या आप शराब, मीट, अंडा खाते है?
उत्तर- शराब कभी कभी, अंडा अक्सर और मीट कभी नहीं
प्रश्न- क्या आपके पिता का झुकाव आपकी बजाय आपके भाईओं की तरफ ज्यादा है?
उत्तर- हाँ मेरे पिता का मुझे कभी सहयोग नहीं मिला, उनकी मेरे भाईयों से अछि बनती है



शुक्कर राजा और चंदर उसका वजीर जो की उसका दुश्मन है यानि २४ साल तक कोई नेक फल नहीं, २४ के बाद तरक्की की और बढेगा जीवन में कभी अचानक या कुदरती मुसीबत नहीं आएगी, मुसीबत के समय दुनियावी साथी भी नदारद होंगे, भाई और बुजुर्गों से कुछ नहीं मिलेगा, बच्चों के जनम से भी कोई नेक फल न होगा, "आता है याद मुझको गुज़रा ज़माना" जैसी किस्मत का हाल होगा, दिखावे का धन या धन का पहाड़ ही जला हुआ होगा, किस्मत में लिखा माल डाक खाने तक तो पहुँच जायेगा मगर उसे छुडाने के लिए रसीद ही गुम हो जाएगी, बुजुर्गों से मदद तो न होगी मगर बुजुर्ग खुद इस जातक से धनी अवश्य होंगे, बुढापा कोई ख़ास नेक नहीं होगा
प्रश्न- क्या आपके पिता छोटी उम्र में ही गुज़र गए थे या आप पिता से अलग रहते या कारोबार करते हैं?
उत्तर- हाँ मैंने शुरू से ही पिता से अलग कारोबार किया, और शादी के बाद उनसे अलग हो गया
अर्थात न बाप की मदद मगर बाप धनी ज़रूर है, रोटी और माया तो ढूंढ कर ही लानी पड़ेगी,
प्रश्न- क्या आपकी पत्नी की सेहत ख़राब रहती है?
उत्तर- हाँ उनकी सेहत शादी के बाद से ही खराब है
प्रश्न- क्या आप कोर्ट कचहरी के चक्कर में हैं?
उत्तर- हाँ मैंने दो लोगों पर मुकद्दमा किया हुआ है
प्रश्न- क्या आपका कारोबार या धन शादी या औलाद के जनम के बाद घटना शुरू हो गया था?
उत्तर- जी हाँ शादी के बाद कोई ख़ास तरक्की नहीं हुई और औलाद के बाद तो बिलकुल नहीं
प्रश्न- क्या आप पर कोई क़र्ज़ है?
उत्तर- हां मैंने घर के लिए लोन लिया हुआ है
प्रश्न- क्या आपके ससुराल आपसे अमीर है?
उत्तर- जी हाँ
प्रश्न- क्या आपके माता जी को कोई आँख में कष्ट या नज़र कमज़ोर है?
उत्तर- हाँ उनकी एक आँख की रौशनी कम है
प्रश्न- क्या आपको कभी सांस की तकलीफ हुई?
उत्तर- हाँ बचपन में मुझे अस्थमा के दौरे पड़ते थे
प्रश्न- क्या आपके बड़े भाई जब तक जिंदा थे तब तक आपके कोई औलाद नहीं हुई?
उत्तर- हाँ मेरे सबसे बड़े भाई जब मैं ३५ साल का था तब पूरे हो गए और ३६वे साल मेरे औलाद हुई वो भी ट्विन्स एक लड़का और एक लड़की
प्रश्न- क्या उससे पहले कोई abortion या misscarriage ?
उत्तर- हाँ शादी के पहले ही साल miscarriage हुआ था
प्रश्न- क्या आपके घर में कोई ताबीज है?
उत्तर- हाँ मेरी सेहत अक्सर ठीक नहीं रहती इसलिए किसी ने मुझे ताबीज दिया था पहनने को जो अब भी मैं पहनता हु
प्रश्न- तो क्या उसके बाद आपकी सेहत ठीक हुई?
उत्तर- नहीं कुछ ख़ास नहीं
प्रश्न- आपको ऐसा तो नहीं लगता की ताबीज पहनने के बाद आपका व्यापार बिलकुल बंद हो गया?
उत्तर- नहीं, हाँ, शायद ,,,,,मालूम नहीं
प्रश्न- क्या आपको पैरों में या मूत्र नाली में या कानो में कोई तकलीफ?
उत्तर- पैरों में एक्जीमा है
प्रश्न- शादी के समय आपके ससुराल में कोई नुक्सान हुआ था?
उत्तर- नहीं

कुल मिलाकर जातक को पिता का कोई सुख नहीं, पत्नी बीमार, औलाद देर से हुई, भाई का कोई सुख नहीं, मामे भी कोई सुख देने वाले नहीं, बहिन कोई नहीं है, व्यापार में कोई तरक्की नहीं, माता पिता से अलग है, इस समय व्यापार में नुक्सान चल रहा है शादी २६वे साल हुई और शादी के १० साल बाद यानि ३६वे साल औलाद का सुख मिला, २९वे साल जातक बिलकुल सड़क पर आ गया था जातक के कहने के मुताबिक चार दिन तक घर में खाने के भी पैसे नहीं थे, हाँ शान ओ शौकत ज़रूर बरकरार रखेगा चाहे अन्दर से खोखला ही हो जाये...चेतन सूद  

Horoscope Analysis-3 (Lal Kitab)

Native's Birth detail- 5/2/76, 7:47pm, at Jalandhar.


१- जनम दिन का ग्रह- बृहस्पत
जनम वक़्त का ग्रह- शनि
२- उम्र का साल ज़ारी- ३६
३- सूरज शनि को ५०% दृष्टि से देख रहा है जिस कारण सूरज २२ साल और शनि ३६ साल तक नीच, बल्कि मंगल भी बद और रहू भी नीच और मंदा होगा
४- अब क्यूंकि मंगल बद न०-१० में है तो जब भी न० १० बाहम दुश्मन या नीच रद्दी वगैरह ग्रहों से मंदा हो रहा होगा तो टेवा अँधा होगा
५- सूर्य बुध साथी हैं इसी तरह बृहस्पत केतु भी साथी हैं
६- सूरज-६, शनि-१२ औरत पर औरत मरती जाये= मगर ऐसा नहीं है शायद मेरे विचार से यहाँ शुक्र को बुध की मदद है
७- सूरज-६ मंगल-१०, लड़के पे लड़का मरे= जातक के अभी कोई लड़का नहीं हुआ, हाँ एक गर्भ ज़रूर गिराया था दिसंबर २०१० में
८- जातक की शादी १८-जनवरी २००८ को हुई जब ३३ वा साल चढ़ने में सिर्फ १७ दिन शेष थे, उस साल का वर्षफल था- बृहस्पति चंदर-१, सूरज-३, केतु-५, राहू-६, मंगल-७, बुध शुक्र-८, शनि-११....."बुध शुक्र जब नष्ट या मंदे, साथ ग्रह नर स्त्री हो, शनि राजा या मदद दे उनको, योग पूरा आ शादी हो"....एवं..." घर पक्का जिस ग्रह का होवे, बुध शुक्र जहाँ बैठा हो, अपनी जगह दे बुध शुक्र को, साल शादी का होता हो"
९- जातक के यहाँ एक कन्या का जनम ३ जनवरी २००९ को हुआ ठीक ३३ वा साल ख़त्म होने में जब एक महिना २ दिन बाकी थे और ३४ वा साल शुरू होने में इतने ही दिन शेष थे-
वर्षफल ३३ वा- बृहस्पति चंदर-१, सूरज-३, केतु-५, राहू-६, मंगल-७, बुध शुक्र-८, शनि-११    एवं
वर्षफल-३४ वा- केतु-१, राहू-२, बृहस्पति चंदर-३, मंगल-४, बुध शुक्र-५, शनि-६, सूरज-९
कन्या का जनम वक़्त से २ महीने पहले ही हो गया था= "कारण बताने वाला विद्वान् एवं मददगार होगा"
वर्षफल ३३ वा और ३४ वा दोनों ही साल औलाद का जनम बताते हैं
१०- राहू-३, शनि-१२ अब राहू को शनि की पूरी मदद होगी मगर ३६ के बाद
अभी तक के विश्लेषण से यही सामने आया है की इस जातक को ३६ वे साल तक काफी ज़द्दोज़हद करनी पड़ेगी, मगर क्यूंकि चंदर मुठ्ठी से बहार है और न०-४ खाली है इसलिए आखरी उम्र में सुखा ज़रूर पायेगा

११- मैंने इनसे प्रशन पूछा की क्या ९-१८-३० या ८-२०-३३ या ११-२२ साल की उम्र में कोई गंभीर जिस्मानी कष्ट हुआ था? तो उत्तर ना में था
१२- फिर मैंने इनसे पूछा की क्या शादी के समय ससुराल की फिनांशल पोसीशन आपसे अछि थी या क्या अब भी ससुराल से आपको आर्थिक सहायता मिलती रहती है ज़रूरत पढने पर तो जवाब मिला हां
१३- मेरा अगला सवाल था की क्या आप १-३-५ भाई बहिन हो? जवाब था ३
१४- मेरा अगला सवाल था की क्या आपके १ या ३ संतान है? जवाब था १
१५- फिर मैंने पूछा की क्या आपका शिक्षा और व्यापर का क्षेत्र अलग अलग है? जवाब मिला हां
१६- मेरा अगला प्रश्न था की क्या आपके कोई ताया या चाचा बहुत उम्दा राजदरबारी पद पर थे? जवाब मिला की ताया जी भारतीय वायुसेना में कमांडिंग ऑफिसर थे
१७- इस कुंडली में अगर नानके परिवार का सूरज से समबन्धित व्यापर होगा तो ठीक लेकिन अगर केतु से सम्बंधित व्यापार होगा तो परेशानी होगी? असल में नानके परिवार का बजाजी का काम है
१८- क्या आपके घर में कोई भठ्ठी या क्या आपका घर दक्षिण मुखी है? जवाब घर में भठ्ठी तो नहीं हाँ एक बहुत बड़ा चूलाह ज़रूर है जो सिर्फ शादियों में इस्तेमाल होता है, घर दक्षिण मुखी है
१९- क्या आपके घर में कोई बुजुर्ग घर से भागकर साधू तो नहीं बना? जवाब हां, जातक के कज़न चाचा जी बहुत पहले घर से चले गए थे जिनका बाद में पता चला की वो बहुत बड़े ग्यानी साधू बन गए थे और उनकी गद्दी अब कोई और देख रहा है
२०- क्या आपका अपने लंगोट पर काबू है? नहीं
२१- क्या आपके दादा जी आपके जनम से पहले या आपकी ८ साल की आयु में आपको छोड़कर दुनिया से विदा हुए? जवाब- नवम्बर १९८५ में यानि ९ साल ९ महीने की उम्र में
२२- क्या २२ साल की उम्र में आप अपने पिता से अलग अपना कारोबार करने लग गए थे और उस समय २२ साल या ११.५ साल की उम्र में क्या आपके पिता जी पर कोई कष्ट आया था? जवाब- हां २२ साल में ही जातक ने पिता से अलग कारोबार शुरू कर लिया था और उसी साल पिता पर कष्ट भी आया था
२३- क्या आपने कभी कोई बच्चा गिराया है? हाँ दिसंबर २०१० में
२४- क्या आपके माता जी ४-८-२४ में गुज़र गयी? नहीं
२५- क्या आपके पिता जी ने दो शादियाँ की? नहीं
२६- क्या घर में अलाव के लिए कोई जगह तो नहीं बनायीं? नहीं
२७- क्या घर में या घर के आस पास कोई काना , काला या बे-औलाद तो नहीं रहता? हाँ घर के सामने बे-औलाद है
२८- क्या घर में हाथी दांत से बनी कोई चीज़ तो नहीं? शायद नहीं
२९- क्या साथ या आस पड़ोस में कोई ऐसा भी लड़का या लड़की है जिनकी अभी तक शादी नहीं हुई? हाँ पड़ोस में १ भाई और तीन बहनें है जिनकी उम्र ४५-५० से ऊपर है और उनमे से किसी की भी शादी नहीं हुई
३०- क्या आपकी बहिन को कोई जिस्मानी कष्ट तो नहीं? नहीं
३१- क्या आपके नानके में किसी को कोई टांग में कोई कष्ट या कोई लंगड़ा तो नहीं? नानी जी को आखरी वक़्त में टांग में तकलीफ थी और वो लंगड़ा कर चलती थी
३२- इस कुंडली में न०-७ सोया है और, राहू, मंगल और बृहस्पति चंदर भी सोये हुए ग्रह है
३३- बृहस्पति चंदर न०-८ के प्रभाव- गुरु ८ वे तो सोने की लंका तक का दानी, राहू उच्च है और गुरु से पहले है इसलिए गुरु गैबी व रूहानी ताकत का मालिक होगा मगर क्यूंकि राहू सूरज शनि के टकराव के चलते ३६ तक मंदा और गुरु सोया होने के कारण जातक को ३६ साल तक कोई नेक असर न देगा गुरु का फल ३६ के बाद होगा और तब ताम्बा भी सोना होगा और मिटटी से भरा पानी भी उत्तम दूध बन जायेगा जंगल में भी मंगल होगा, सेहत दौलत परिवार उम्र से कभी दुखी न होगा
मंगल बद के कारण माकूल आमदन होते भी करजई होगा, ३६ के बाद बढ़ का दरख़्त, क़ानून महकमा काम आएगा, ३६ तक भाइयों के लिए भी कोई नेक असर न होगा, सूरज -६ जब भी दौरे पर आएगा तो शुक्र मंदा होगा ३०-४२ साल में, सूरज शनि के टकराव के चलते आग के वाक्यात, कीमत कौड़ी, शनि की सब चीज़ें मंदी, सेहत और ताकत मंदी, ख्यालातों से आज़ाद होगा, लट्टू की तरह बदल जाने वाला, गैर तसल्ली बक्श दोस्त होगा, दूध व तालीम खुश्क दूध होगा, वतन से और परिवार से प्रेम करने वाला, लंगोट पर काबो रखेगा तो किस्मत और औलाद दोनों उम्दा, गृहस्थी चक्की और किस्मत के दोनों पात ३४ बल्कि ३६ के बाद चलने शुरू हो जायेंगे, मतलब की पहला चक्कर (३५ साला) व्यर्थ जायेगा, मंगल-१० चींटी के घर भगवान् राजा, मगर मंगल बद के ३६ साल निकलने के बाद ही मंगल नेक का असर आयेगा, अब एक बात तो पक्की है की बुध -५ में परिवार और दौलत का मालिक होता है इसलिए ३४ या ३६ के बाद लड़का ज़रूर होना चाहिए, मगर बुध की केतु पर नज़र होने से केतु मंदा होगा मगर ज्यादा से ज्यादा ३४ तक उसके बाद केतु का अपना फल उच्च होगा, बुध शुक्र के सुभा का है इसलिए जातक रंगीन मिजाज़ होगा, कलाप्रेमी, इश्क में अव्वल दर्जे का होगा, ३४ तक राजदरबारी ताल्लुक में गुड में रेत, नहाने के बाद जिस्म पर रेत, किस्मत का फर्जी उभार ३६ तक पेशाब की झाग की तरह होगा, पिता से भी नहीं बनती होगी जो की सच है, मगर औलाद पर मंदा न होगा, शनि १२ में विधाता की कलम होगा मगर चलेगी ३६ के बाद ही, शराब, शबाब और कबाब से दूर रहे तो उत्तम वर्ना औरत पर कष्ट होगा. दक्षिण के दरवाजे के साथ के कारण ताकत वर हाथी भी चींटी से मर जायेगा, भाई बंधू या दुनियावी साथी रूपया पैसा बर्बाद करेंगे या लेकर मुकर जायेंगे, बन्दर की दम और शेर के कान होंगे, यानि ३४ तक उछल कूद और कानों का कच्चा होगा, कुत्ते की जान सर में होगी. सूरज -६ में मामे उत्तम होंगे,
सक्षेप में सूरज उठ कर न०-६ में चला गया है नानके उत्तम, न०-२ से सूरज को कोई ख़राब करने वाला नहीं, सूरज शनि की टक्कर के कारण ३६ तक किस्मत के मंदे धोके और उसके बाद उत्तम ज़माना होगा, २८ तक मंगल ख़त्म और ३४ तक बुध तो किस्मत का पहला चक्कर खाली, मगर ३६ के बाद राहू का उच्च फल होगा और केतु का भी उच्च फल बहाल होगा, आमदनी के घर पर राहू की नज़र से ४२ तक कभी कभार रोड़ा अटकाता रहेगा, शनि की मदद से राहू और भी उत्तम होगा
कुंडली में राज योग नहीं है इसलिए अपनी खुद की म्हणत से बढेगा
राहू से अदल मुंसिफ मिजाज़ दूसरों पर ज़ुल्म नहीं देख सकता, बुध से अपनी इज्ज़त वास्ते दुसरे की बे इज्ज़ती करगे मगर इर्ष्या से बरी होगा, मुसीबत के वक़्त भी अपने काम में लगा रहेगा चाहे नफा हो या नुक्सान, कामयाब हो या न हो मगर अपना काम कभी नहीं छोड़ेगा चाहे लाख मुसीबत आये, धर्म का पक्का होगा, लम्बी सोच और अपना काम वक़्त से पहले ही कर लेगा, मगर किसी को भी अपने से अच्छा नहीं समझेगा
जिस दिन औलाद होगी (लड़का) बुध गंग दरिया होगा, मंगल इसकी किस्मत का ग्रह है जिसे नेक कर लेना मददगार होगा, ३६ के बाद धन अच्छा होगा विदेशों से भी कमाएगा, 
एक और प्रशन पूछा - क्या आपके दांत टूटे तो नहीं? जवाब मिला हाँ, एक दाड़ निकलवाई हुई है
जिस दिन औलाद नारिना होगी उस दिन अपने वालदैन की किस्मत को रोशन अँधेरे घर में चिराग होगा
सूरज-६, बुध-५ लावल्द कभी न होगा
"दुनियावी हिसाब किताब है कोई दावा-ए- खुदाई नहीं"
कर भला होगा भला अंत भले का भला