सफ़र का हुक्मनामा (ट्रांसफर)
सफ़र का हुक्मनामा (ट्रांसफर) - सफ़र हो
या ट्रांसफर बात
एक ही है
यानि जगह में
बदलाव, स्थान परिवर्तन आदि।
कई बार तो
यह बदलाव खुशियों
का पैगाम लेकर
आता है तो
कई बार उदासी।
यदि सफ़र हो
और अपनी मर्ज़ी
से हो तो
व्यक्ति खुश होता
है और यदि
ट्रांसफर हो और
अचानक मर्ज़ी के
खिलाफ हो तो
ज़ाहिर है उदासी
ही होगी। इंसानी
फितरत है की
व्यक्ति जहाँ रहता
है उस जगह
से लगाव हो
ही जाता है,
ऐसे में अचानक
किसी दूसरी जगह
जाना पड़े और
वो भी अपनी
मर्ज़ी के खिलाफ
तो मन में
उदासी का होना
कोई अचरज नहीं,
कई तरह के
सवाल मन में
पैदा होते हैं,
नयी जगह कैसी
होगी, नए लोग
कैसे होंगे, बच्चों
के स्कूल की
चिंता, नयी जगह
मन लगेगा भी
या नहीं आदि
आदि। मगर जाना
तो पड़ेगा ही
क्या करे मजबूरी
जो है। आईये
जाने की 'लाल
किताब' में इस
सम्बन्ध में क्या
क्या योगव्योग बताये
गए हैं, क्या
सफ़र खुशियों से
भरा होगा या
फिर चिंता का
कारण?
हम
जानते हैं की
चंद्रमा जल तत्व
ग्रह है अतः
समंदरी सफ़र का
कारक है, बृहस्पति
हवा है अतः
हवाई सफ़र का
कारक है और
शुक्र ज़मीन है
अतः ज़मीनी सफ़र
का कारक है।
मगर किसी भी
तरह के सफ़र
का हुक्मनामा ज़ारी
करने वाला ग्रह
केतु होगा क्यूंकि
केतु पैरों में
चक्कर डालने वाला
है। सफ़र कब
और कैसे होगा
इसके लिए 'लाल
किताब' वर्षफल कुंडली अनुसार
देखा जायेगा।
१-
जिस साल वर्षफल
अनुसार शुक्र भाव नंबर
४ में आये
तो ज़मीनी सफ़र
होगा ऐसा जाने,
इसी तरह बृहस्पति
जब भाव नंबर
४ में आये
तो हवाई सफ़र,
और चन्द्र आये
तो समंदर पार
सफ़र होंगे।
२-
जिस साल भाव
नंबर ४ में
बृहस्पत या सूरज
या दोनों आये
तो ऐसा सफ़र
समंदर पार या
निहायत ज़रूरी सफ़र होगा,
जो की राजदरबार
से सम्बंधित होगा।
यदि बुध का
भी सम्बन्ध बन
रहा हो तो
ऐसा सफ़र कारोबार
से सम्बंधित होगा
और व्यक्ति के
लिए फायदेमंद होगा।
यदि शुक्र का
सम्बन्ध बन रहा
हो तो ऐसा
सफ़र मौज मस्ती
के लिए होगा।
मंगल-शनि-राहू
का सम्बन्ध भाव
नंबर ४ से
होने पर सफ़र
दुखदायी और नुक्सान
देने वाला होगा।
३-
जिस साल वर्षफल
अनुसार जब चन्द्र
या केतु अच्छे
घरों में हो
या केतु पहले
घरों (१ से
६) में हो
और चन्द्र बाद
वाले (साथी दीवार)
घर में हो
तो सफ़र कभी
अपनी मर्जी के
खिलाफ ना होगा
और ना ही
कोई मंदा नतीजा
या नुक्सान देने
वाला होगा बशर्ते
की चन्द्र स्वयं
मंदा ना हो।
निम्न हालातों में किया जाने वाला सफ़र नुक्सान या मंदे नतीजे देगा-
१-
मंगलवार या बुधवार
के दिन उत्तर
की ओर किया
जाने वाला सफ़र
मंदा फल देगा
खासकर उसी साल
यदि वर्षफल अनुसार
भाव नंबर ६
में केतु या
मंगल-केतु या
बुध-केतु आ
जाएँ।
२-
शुक्रवार या इतवार
के दिन पश्चिम
दिशा की ओर
सफ़र मंदा फल
देगा खासकर जब
वर्षफल अनुसार भाव नंबर
१० या ११
में केतु या
सूरज-केतु या
शुक्र-केतु आ
जाएँ।
३-
सोमवार या शनिवार
के दिन पूर्व
दिशा की ओर
सफ़र मंदा फल
देगा खासकर जब
वर्षफल अनुसार भाव नंबर
१ या ५
में केतु या
चन्द्र-केतु या
शनि-केतु आ
जाएँ।
४-
वीरवार के दिन
दक्षिण की ओर
किया जाने वाला
सफ़र मंदा फल
देगा खासकर जब
वर्षफल अनुसार भाव नंबर
३ या ८
में केतु या
बृहस्पत-केतु बैठे
हो।
सफ़र का फैसला अमूमन वर्षफल कुंडली में केतु की स्थिति अनुसार होगा, यानि जब (वर्षफल कुंडली) में केतु बैठा हो-
भाव नंबर १ में- बेशक
सफ़र की पूरी
तयारी होने के
बाद भी आखिर
में सफ़र नहीं
होगा, अगर हो
भी जाये तो
अस्थायी सफ़र होगा
यानि की १००
दिन के अन्दर
ही वापिस आना
पड़ेगा खासकर जब
भाव नंबर ७
भी खाली हो।
भाव नंबर २ में- तरक्की
के कारण सफ़र
होगा यानि तरक्की
और सफ़र दोनों
होंगे वर्ना एक
भी नहीं, खासकर
नंबर ८ से
मंदा असर शामिल
ना हो।
भाव नंबर ३ में- भाईयों
से दूर परदेस
में रहता होगा,
जब नंबर ३
सोया हुआ हो।
भाव नंबर ४ में- वैसे
तो सफ़र नहीं
होगा, और अगर
होगा तो माता
बैठी होने वाले
शहर या माता
के चरणों तक
ही होगा, ऐसे
में ना तो
मुकाम की तबदीली
होगी और ना
ही मंदा फल
होगा, खासकर नंबर
१० मंदा ना
हो।
भाव नंबर ५ में- मुकाम
या शहर की
तबदीली नहीं होगी,
मगर महकमा या
विभाग या उसी
शहर में घर
की तबदीली बेशक
हो सकती है
बहरहाल नतीजा अच्छा ही
होगा, खासकर जब
तक बृहस्पति नेक
हो।
भाव नंबर ६ में- सफ़र
या तबदीली का
हुक्मनामा ज़ारी होकर
भी एक बार
तो अवश्य ही
निरस्त होगा, खासकर जब
केतु जागता हो।
भाव नंबर ७ में- पुश्तैनी
घर बार का
सफ़र ज़रूर होगा,
तबदीली तो ज़रूर
होगी तरक्की चाहे
हो या ना
हो। व्यक्ति अगर
स्वयं ख़ुशी से
नहीं जायेगा तो
किसी न किसी
बीमारी से या
बतौर लाश बनकर
जाना पड़ेगा, संक्षेप
में शहर की
तबदीली या सफ़र
तो ज़रूर ही
होगा। यदि भाव
नंबर १ मंदा
ना हो और
केतु जागता हो
तो सफ़र का
नतीजा नेक ही
होगा।
भाव नंबर ८ में- सफ़र
या तबदीली ख़ुशी
से नहीं बल्कि
व्यक्ति की मर्जी
के खिलाफ और
मंदा फल देगी,
खासकर नंबर ११
में केतु के
दुश्मन चन्द्र या मंगल
ना हो। यह
मंदा फल केतु
की चीज़ों जैसे
की कान, रीढ़
की हड्डी, टांगों
की बीमारी, जोड़ों
में दर्द, गठिया
वगैरह के रूप
में हो सकता
है या घर
में पालतू कुत्ते
या तीन दुनियावी
कुत्तों पर भी
हो सकता है।
ऐसे में उपाय
के तौर पर
१५ दिन तक
रोज़ लगातार मंदिर
में और कुत्ते
को (इकठ्ठे) दूध
देना मददगार होगा।
या भाव नंबर
२ को नेक
करे या स्वयं
नंबर २ किसी
अन्य ग्रह से
नेक हो जाये।
भाव नंबर ९ में- पुश्तैनी
घर का सफ़र
होगा और मुबारक
और अपनी मर्जी
से ख़ुशी ख़ुशी
होगा, जिसका फल
भी उत्तम और
नेक होगा खासकर
जब नंबर ३
में कोई मंदा
या शत्रु ग्रह
ना बैठा हो।
भाव नंबर १० में- सफ़र
या तबदीली शक्की
होगी, यदि वर्षफल
अनुसार शनि नेक
हुआ तो दुगुना
नेक लेकिन यदि
शनि मंदा हुआ
तो सफ़र या
तबदीली भी दुगनी
मंदी या नुकसान
देने वाली होगी
और बे-मौका
सफ़र होगा। यदि
भाव नंबर ८
भी मंदा हुआ
तो मंदी हवा
का पूरा जोर
होगा और यदि
नंबर २ नेक
हुआ तो मददगार
होगा। मंदे असर
से बचने के
लिए सूरज को
दूध या पानी
का अर्घ्य देना
मुबारक होगा।
भाव नंबर ११ में- अव्वल
तो सफ़र का
हुक्म होगा ही
नहीं अगर हो
भी जाये तो
११ गुना नेक
होगा, खासकर जब
नंबर ३ से
मंदा असर ना
आये।
भाव नंबर १२ में- तरक्की
ज़रूर होगी मगर
तबदीली नहीं, अपने परिवार
और बाल बच्चों
के पास ही
रहेगा, अगर सफ़र
हो भी तो
फायदेमंद होगा, खासकर जब
तक नंबर ६
व २ से
मंदा असर शामिल
ना हो।
Chetan Sud (Astrologer)
+91-98883-64014
www.chetansud.com
Hi thanks for wonderful information. I heard that Vedic Astrology can help in identifying if we are one of those have certain combinations in birth-chart that signify foreign travel. http://youtu.be/LtAXPVlNfls can you please check and tell if i have those combinations in my birth-chart my DOB is 2-april-83.Thanks in advance.
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