Monday, May 7, 2012

LAL KITAB - VASTU-1



घर के नक़्शे से बनाए अपनी जनम कुंडली- लाल किताब ही एकमात्र ऐसा विषय है जिसमे ज्योतिष का कोई भी अंग अछूता नहीं, फिर चाहे वो कुंडली शास्त्र हो या सामुद्रिक शास्त्र, चाहे वो शरीर विज्ञान हो या वास्तु शास्त्र। लाल किताब में हर विषय को इतने खुबसूरत ढंग से तार्किक रूप से बताया गया है की इसके रचयिता परम पूजनीय पंडित रूप चंद जोशी जी को शत शत नमन है। इसी कड़ी में पंडित जी ने घर के नक़्शे से जनम कुंडली की जांच दुरुस्ती कैसे की जाती है इस बाबत विस्तार से बताया है और साथ ही यह भी समझाया है की व्यक्ति अपने घर के नक़्शे के आधार पर अपनी स्वयं की जनम कुंडली कैसे बना जान सकता है और यदि कोई ग्रह कुंडली में अशुभ फल दे रहा हो तो घर के नक़्शे की सहायता से उसे कैसे ठीक किया जा सकता है ताकि शुभ फलों में और वृद्धि की जा सके। हम सब जानते हैं की प्रत्येक दिशा निर्धारित है ठीक उसी प्रकार घर में भी प्रत्येक भाव निर्धारित है जिसको भली भांति समझने के लिए आप ऊपर दिए गए चित्र को ध्यान पूर्वक देखेंगे तो पायेंगे की चित्र में जो संख्याएं दी गयी हैं वो घर के नक़्शे के मुताबिक कुंडली के १२ भाव हैं। अब जो ग्रह कुंडली के जिस जिस भी भाव में होगा वह ग्रह घर के नक़्शे के मुताबिक बने भाव में भी ज़ाहिर हो रहा होगा, उदहारण के लिए मान लीजिये की यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में सूरज नवम भाव में है जो की ऊपर दिए गए चित्र के मुताबिक घर के मध्य भाग में पड़ता है, अब उस व्यक्ति के घर के ठीक मध्य भाग में कहीं कहीं से सूरज की रौशनी आती होगी क्यूंकि सूरज का सम्बन्ध रौशनी से है, ठीक इसी तरह यदि किसी का बृहस्पति प्रथम भाव में है तो ऊपर दिए गए चित्र मुताबिक जिस दिशा में प्रथम भाव दर्शाया गया है (पूर्व दिशा मगर उत्तर की तरफ) उस व्यक्ति के घर के उस भाग में बृहस्पति से सम्बंधित चीज़ें होंगी यानि की हवा का प्रबंध उस तरफ से होगा या पिता या दादा के रहने का कमरा उस दिशा में होगा, मंदिर या पूजा स्थान भी हो सकता है। इसी तरह अन्य ग्रहों के बारे में भी जाना जा सकता है। अब यदि किसी का शुक्र सप्तम भाव में हो तो चित्र अनुसार सप्तम भाव जहाँ दर्शाया गया है उस दिशा में व्यक्ति का शयन कक्ष या बैठक 'ड्राईंग रूम', या कच्ची ज़मीन या गाय अस्थान आदि आदि शुक्र से सम्बंधित चीज़ें होंगी।


विशेष- कोई ग्रह जिस भी भाव में अशुभ फल देने वाला माना गया है उस ग्रह से सम्बंधित चीज़ें घर की उस दिशा में स्थापित होने या करने से भी व्यक्ति उसके अशुभ फल से बच सकता है। अब यह भी सही है की एक ही घर में कई व्यक्ति रहते हैं तो फिर घर कुंडली किस पर लागू होगी, इसके लिए मेरा अपना निजी अनुभव है की जो उस घर में मुखिया होगा उस पर या घर के मालिक पर या यदि किरायेदार है तो जिसकी कमाई से किराया जाता है उस पर अन्य घर के मेम्बेर्स की अपेक्षा घर कुंडली के ग्रह ज्यादा ज़ाहिर होंगे। प्रत्येक ग्रह से सम्बंधित चीज़ें सम्बन्धी निम्नलिखित हैं-

बृहस्पति- हवा, पिता, दादा, मंदिर, पूजा स्थान, हवा के आने का प्रबंध, दरवाज़े
सूरज- रौशनी, धुप, राजदरबार, आफिस, सरकारी सामान
चन्द्र- पानी, माता, घोडा, खाली ज़मीन, पानी का स्रोत
शुक्र- कच्ची दीवार, गाय स्थान, पत्नी, बैठक, रति कक्ष, कच्ची उपजाऊ  ज़मीन
मंगल- खाने पीने की जगह (डायिनींग रूम), भाई, शस्त्रगार, अग्नि स्थान
बुध- आफिस, व्यापारिक स्थान, लेखागार, कंप्यूटर रूम, बहन बुआ, बकरी या परिंदों के रखने का स्थान
शनि- लड़कियों के रहने का कमरा, चाचा, ताया, लोहे का भारी सामान, लकड़ी, बार
राहू- घर की नाली, गरकी, गन्दा पानी निकलने का रास्ता, धुएं का स्थान
केतु- रोशनदान, लड़के का कमरा, कुत्ते के रहने की जगह, जूते रखने का स्थान आदि

अब ऊपर दी गयी जानकारी चित्र अनुसार चाहे आप घर के नक़्शे से कुंडली बना कर जांच करे या कुंडली से घर के नक़्शे की जांच करे बात एक ही है, जो ग्रह जहाँ अशुभ फल देता है वहां उस ग्रह की चीज़ें स्थापित करे और जो ग्रह जिस भाव में शुभ फल देता है वहां उस ग्रह की चीज़ें स्थापित करने से और भी शुभ फल मिलेगा।

Chetan Sud (Astrologer)
+91-98883-64014
www.chetansud.com

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