"इक बँगला बने न्यारा"
आज
की दौड़ धूप
से भरी ज़िन्दगी
में हर इंसान
का सपना है
की उसका भी
एक सपनों जैसा
सुन्दर घर हो,
जिसमे उसका हँसता
खेलता परिवार जीवन
की हरेक ख़ुशी
का आनंद ले
सके। मगर आज
के महंगाई के
युग में एक
ही गीत मेरे
ज़ेहन में बार
बार आ रहा
है "सखी सईयाँ
तो खूब ही
कमात हैं, महंगाई
डायन खाए जात
है", और यह
सच भी है
महंगाई के इस
दौर में अपना
घर बनाना वाकई
आसमान से तारे
तोड़ कर ले
आने के समान
है। आईये जाने
की 'लाल किताब'
में अपना घर
होने के सम्बन्ध
में क्या क्या
योग-अव्योग बताये
गए हैं।
"टेवे बैठे ग्रह
१
ता
९वे,
दायें
दाखिला
बोलते
हैं,
चलते १२
से
घर
९
आवें,
असर
बाएं
पर
देते
हैं"
अर्थात-
जन्मकुंडली अनुसार जो भी
ग्रह भाव नंबर
१ से ९
में होंगे वह
अपना असर घर
में दाखिल होते
समय घर के
दायीं तरफ ज़ाहिर
करेंगे और जो
भी ग्रह भाव
नंबर १२ से
१० में होंगे
वह अपना असर
घर के बायीं
तरफ ज़ाहिर करेंगे।
उदाहरण के लिए
मान लीजिये की
यदि शनि आपके
भाव नंबर ४
में है और
भाव नंबर २
में है सूरज
तो घर में
दाखिल होते समय
दायें हाथ की
तरफ दूसरी कोठरी
या कमरे में
सूरज से सम्बंधित
चीज़ें जैसे की
रौशनी-धूप, गुड
या अनाज का
भंडार आदि आदि
सूरज से सम्बंधित
चीज़ें होंगी तथा
दायें हाथ से
चौथे नंबर की
कोठरी या कमरे
में शनि से
सम्बंधित चीज़ें जैसे की
बड़े बड़े संदूक,
सेफ, लोहा, लकड़ी
आदि या फिर
इस कमरे में
चाचा की मौत
(यानि की यदि
टेवे वाले का
कोई चाचा हो
और साथ ही
रहता हो तो
अमूमन उसका आखरी
वक़्त उसी कमरे
में बीतेगा) या
इस कमरे की
छत व दरवाज़े
पुराने ज़माने की लकड़ी
शीशम-कीकर-फलाही
आदि से बने
होंगे। हम जानते
हैं की सूरज
का सम्बन्ध राजदरबार
से है और
शनि का सम्बन्ध
बीमारी और दुःख
से है अर्थात
भाव नंबर २
में सूरज होने
पर व्यक्ति स्वयं
या उसका राजदरबार
घर में प्रवेश
करते समय दायें
हाथ की तरफ
दुसरे कमरे में
होगा या भाव
नंबर २ की
दिशा (शुमाल-मगरिब)
उत्तर-पश्चिम दिशा
में होगा इसी
तरह भाव नंबर
४ में शनि
हो तो अमूमन
घर का कोई
बीमार व्यक्ति या
चाचा या शनि
की चीज़ें घर
में प्रवेश करते
वक़्त दायें हाथ
की तरफ बने
४थे कमरे में
या उसकी दिशा
(शुमाल-मशरिक) उत्तर-पूर्व
में होंगी।
कब बनेगा खुद का घर- लाल किताब
के वर्षफल अनुसार
जिस साल शनि
अपने जाती उसूल
के मुताबिक नेक
साबित हो तो
और दृष्टि या
वैसे ही राहू
केतु के साथ
बैठा हो तो
व्यक्ति का अपना
घर बनने के
पूरे पूरे योग
होते हैं लेकिन
यदि शनि अपने
जाती उसूल पर
अशुभ हो और
राहू केतु के
साथ हो तो
उस साल मकान
बनने की बजाय
उल्टा बर्बाद होगा
या बिक जायेगा।
भाव नंबर २
व उसमे बैठे
ग्रह घर की
हालत बताएँगे तथा
भाव नंबर ७
व उसमे बैठे
ग्रह घर के
सुख-दुःख के
बारे में बताएँगे।
कैसे करे भूमि की जांच- अपना घर
बनाने से पहले
खाली प्लाट के
चारों ओर पानी
से एक लकीर
खींचे, फिर प्लाट
के मध्य भाग
में दूध या
गंगाजल या चावल
से भरा हुआ
एक बर्तन (घड़ा)
दबाएँ, ऐसा करने
के लगभग कुछ
ही दिनों में
यदि वह प्लाट
आपके लिए अशुभ
होगा तो शनि
का अशुभ फल
अचानक बीमारी या
मुकद्दमा या लडाई
झगडा या दूसरी
कोई लानत के
रूप में आप
पर ज़ाहिर हो
जायेगा तब फ़ौरन
ही उस दबाये
हुए बर्तन को
निकाल कर किसी
नदी या दरिया
में प्रवाहित कर
दे, अशुभ फल
मिलने बंद हो
जायेंगे और वह
प्लाट हो सके
तो बेच दे
क्यूंकि वह आपके
लिए शुभ नहीं
है।
अपना घर बनाने सम्बन्धी कुछ नियम व हिदायतें- लाल किताब में 'श्री शनि
देव' एवं 'घर'
का बहुत ही
अटूट सम्बन्ध है,
क्यूंकि जब तक
शनिदेव की कृपा
नहीं होगी तब
तक व्यक्ति अपना
स्वयं का घर
नहीं बना सकता।
आईये जाने विभिन्न
भावों में शनिदेव
के स्थित होने
पर व्यक्ति व
उसके घर सम्बन्धी
पड़ने वाले प्रभाव
क्या हैं।
शनि भाव नंबर १ में- यदि आपके
भाव नंबर एक
में शनि विराजमान
है और अपने
जाती उसूल मुताबिक
अशुभ है तो
जब भी वह
व्यक्ति अपना घर
बनाएगा तो काग
रेखा का फल
मिलेगा यानि की
वह व्यक्ति कौवे
जितनी खुराक के
लिए भी तरसेगा,
निर्धन हो जायेगा
और हर तरफ
बर्बादी का मंज़र
होगा, लेकिन यदि
भाव नंबर ७
व १० खाली
हो तो शुभ
फल ही होगा।
शनि भाव नंबर २ में- यदि आपके
भाव नंबर २
में शनि हो
तो घर जब
और जैसा भी
बने बनने दे
शुभ फल ही
होगा।
शनि भाव नंबर ३ में- हो तो
२ कुत्ते पालने
पर ही घर
बनेगा वर्ना गरीबी
का कुत्ता भौंकता
रहेगा।
शनि भाव नंबर ४ में- हो तो
व्यक्ति जब भी
अपना घर बनाएगा
तो बुनियाद खोदते
ही उसकी माता
या दादी या
सास या मामू
या नानके परिवार
तबाह और बर्बाद
होने लग जायेंगे।
शनि भाव नंबर ५ में- हो तो
व्यक्ति द्वारा बनाये गए
मकान (घर) उसकी
औलाद की क़ुरबानी
लेंगे, मगर औलाद
द्वारा बनाये गए मकान
खुद उस व्यक्ति
के लिए शुभ
होंगे। ऐसे में
यदि वह व्यक्ति
अपनी ४८ साल
उम्र के बाद
ही मकान बनाये
तो कोई अशुभ
फल नहीं होगा।
शनि भाव नंबर ६ में- हो तो
३९ साल की
उम्र के बाद
ही मकान बनाना
शुभ फल देगा
वर्ना व्यक्ति की
लड़की के रिश्तेदार
(ससुराल) तबाह और
बर्बाद होंगे।
शनि भाव नंबर ७ में- हो तो
व्यक्ति को बने
बनाये मकान बहुत
मिलेंगे जो की
शुभ होंगे।
शनि भाव नंबर ८ में- हो तो
जब भी व्यक्ति
अपना मकान बनाना
शुरू करेगा उसके
घर में मौत
का तांडव शुरू
हो जायेगा, मगर
यदि राहू केतु
जन्मकुंडली में शुभ
हो तो शुभ
फल ही होगा।
शनि भाव नंबर ९ में- हो तो
व्यक्ति जब अपनी
कमाई से मकान
बनाएगा तो उसकी
औरत के (या
माता ) गर्भवती होने की
अवस्था में उसका
पिता या तो
बहुत धनवान होगा
या जिंदा न
रहेगा और जब
ऐसा व्यक्ति अपनी
कमाई से तीन
अलग अलग मकान
बना ले तो
उसका अपना आखरी
वक़्त नज़दीक होगा।
शनि भाव नंबर १० में- हो
तो जब तक
वह व्यक्ति अपना
खुद का मकान
(घर) नहीं बनाएगा
तब तक शनि
उसे घर बनाने
की कीमत जितना
नकद धन देता
जायेगा लेकिन जैसे ही
वह व्यक्ति अपना
घर बना लेगा
तो उस व्यक्ति
की आमदनी बर्बाद
बल्कि ख़त्म ही
हो जाएगी।
शनि भाव नंबर ११ में- हो तो
व्यक्ति का मकान
अमूमन देर से
लगभग ५५ साल
उम्र के बाद
ही बनेगा, यदि
वह व्यक्ति दक्षिण
मुखी मकान में
रहता होगा तो
ऐसे व्यक्ति को
बहुत लम्बे अरसे
तक किसी न
किसी बीमारी की
वजह से जूझना
पड़ेगा और उसकी
मौत भी उसी
बीमारी से होगी,
हो सकता है
की उस बीमारी
की वजह से
उसे बहुत लम्बे
समय तक बिस्तर
पर ही गुज़ारा
करना पड़े।
शनि भाव नंबर १२ में- हो तो
अब ऐसे व्यक्ति
के मकान अपने
आप ही बनेंगे
और शुभ फल
देंगे।
कैसे होने चाहिए घर के कोने- चार
कोने वाला मकान
सबसे उत्तम माना
गया है और
हर कोना ९०
डिग्री के कोण
पर होना चाहिए।
"८-१८-१३-तीन, बिच्चों चुक भुजा बलहीन,
पांच कोण का मंदिर रचे, कह बिसकरमा कैसे बसे"
अर्थात-
आठ कोने वाला
मकान आयु पर
अशुभ असर देगा
तथा आग लगने
जैसी घटनाएं होंगी
यानि शनि खाना/भाव नंबर
८ का फल
देगा ऐसे घर
में मातम के
वाकियात व बीमारी
आम होगी, १८
कोने वाला मकान
माता और पिता
की आयु पर
भारी होगा या
ऐसे व्यक्ति का
सोने चांदी का
बहुत नुकसान होगा,
१३ कोने वाला
मकान फांसी तक
जैसी सजा हो
सकती है, ३
कोने वाला मकान
भाई बंधू पर
अशुभ असर करता
है। यदि मकान
का मध्य भाग
ऊपर को उठा
हो बिलकुल कछुए
की पीठ की
भांति या मकान
का आकार मछली
की तरह हो
तो व्यक्ति की
नस्ल घटती जाएगी
और उसे काग
रेखा यानि की
कौवे जितनी खुराक
के लिए भी
तरसना पड़ेगा। बिना
भुजा वाला मकान
(मछली जैसा) यानि
जिस मकान
की भुजा एक
जैसी न हो
शमशान के सामान
होगा, ऐसे मकान
में ख़ुशी के
वक़्त अचानक मातम
का माहौल बन
जायेगा। पांच कोने
वाले मकान में
स्वयं व्यक्ति कभी
नहीं बस पायेगा
और यदि बस
भी जाये तो
उसकी औलाद पर
हमेशा मृत्यु मंडराती
होगी। उसकी हालत
ऐसी होगी की
बीमारी भी मौत
न देगी हर
समय छाती पर
सांप लोटते होंगे।
चार कोने वाला
मकान पूरे कुल
की उन्नति में
सहायक होगा, व्यक्ति
बहुत बड़े ओहदे
वाला या वैसे
ही खुशहाल होगा।
कैसे जाने घर या मकान शुभ होगा या अशुभ-
आज बढती महंगाई
के दौर में
फिर भी हर
इंसान का सपना
है की उसका
भी अपना खुद
का एक प्यारा
सा घर हो,
जिसके लिए वो
दिन रात एक
करके अपने जीवन
की सारी जमा
पूँजी खर्च करके
यह सपना तो
किसी तरह पूरा
कर लेता है
मगर वो यह
नहीं जानता की
जिस घर को
पाने के लिए
उसने इतनी मेहनत
की वो घर
उसके लिए शुभ
है या अशुभ।
कहीं ऐसा तो
नहीं की उस
घर में कदम
रखते ही उसकी
खुशियों पर ग्रहण
का साया पड़
जाये या यह
भी हो सकता
है की उस
घर में आते
ही वो दिन
दुनी रात चौगुनी
तरक्की करे, बहरहाल
कुछ भी हो
सकता है। इस
लेख के ज़रिये
हम लाल किताब
के नियमों के
आधार पर यही
जानने की कोशिश
करेंगे की नया
घर हमारे लिए
खुशियों की सौगात
लाया है या
दुखों का पहाड़।
इसी लेख के
भाग १-२-३ में
मैंने बताया था
की घर खरीदने
से पहले भूमि
किस प्रकार की
होनी चाहिए तथा
आपकी कुंडली में
शनि की स्थिति
के अनुसार क्या
फल होगा, आईये
अब हम जाने
की घर के
अंदरूनी हिस्सों की पैमाइश
का व्यक्ति (मकान
मालिक) पर क्या
असर पड़ता है।
घर
बनाने से पहले
दीवार और बुनियाद
का रकबा छोड़कर
हर एक हिस्से
या कमरे का
अंदरूनी हिस्सा अलग अलग
मापा जाये, मापने
के लिए मकान
मालिक या जिसके
नाम पर मकान
लिया है, उसकी
कोहनी के जोड़
से लेकर मध्यमा
अंगुली के सिरे
तक की लम्बाई
जिसे एक हाथ
कहते हैं, को
हम घर/मकान
की लम्बाई व
चौडाई मापने के
लिए इस्तेमाल में
लायेंगे। इसके लिए
गणित का बहुत
ही सरल फार्मूला
लेंगे-
घर
के अंदरूनी हिस्सों/कमरों की लम्बाई+चौडाई गुना
३ से एक
घटाया और ८
से तकसीम किया
जो शेष आया
वही असर निम्नलिखित
होगा। उदाहरण के
लिए लम्बाई १६'
+ चौडाई १०'= २६
गुना किया ३
से= ७८ से
एक घटाया = ७७
को तकसीम किया
८ से= शेष
आया ५
इसी
तरह जोड़ घटाव
करने पर शेष
१-२-३-४-५-६-७-८ या
शुन्य हो सकता
है। शेष यदि
१-३-५-७ आये
तो शुभ फल
होगा और यदि
२-४-६-८ या
शुन्य शेष आये
तो अशुभ फल
होगा। आईये जाने
विस्तार से इसका
फल-
शेष
यदि १ आये-
राजा समान, बुलंद
हैसियत, बहुत उत्तम
फल
शेष
२ आये- कुत्ता,
गरीब, निर्धन
शेष
३ आये- शेर,
आदमियों के लिए
उत्तम मगर स्त्रियों
व बच्चों के
लिए अशुभ, व्यापार
के लिया उत्तम
शेष
४ आये- गधा,
निर्धन, मनहूस, मजदूर
शेष
५ आये- गौ
घाट, गाय, स्त्री-बाल बच्चों
के लिए शुभ
शेष
६ आये- मुसाफिर,
माता पिता औलाद
दुखी, कोई साथ
ना देगा
शेष
७ आये- हाथी,
मवेशियों के लिए
उत्तम व बरकत
वाला
शेष
८ आये- चील,
गिद्ध, मुर्द्घाट, मौत का
घर
CHETAN SUD (ASTROLOGER)
+91-98883-64014
www.chetansud.com
No comments:
Post a Comment