Native's Birth data- 12-5-62, 11:17am, delhi
आदरणीय मेम्बेर्स, कोई भी कुंडली देखने से पहले यह सुनिश्चित करना बहुत ज़रूरी है की क्या वो कुंडली ठीक भी है या नहीं इसके लिए परम पूज्य पंडित जी ने कुंडली की दुरुस्ती कैसे की जाती है इसके बारे में विस्तार से बताया है इसके अलावा मेरे कुछ मित्र मेरे सिनिअर्स का भी आशीर्वाद मुझे समय समय पर मिलता रहता है.
आदरणीय योगराज जी ने भी अपनी टिप्पणी में यही बात हम सबको समझाई है अब शुरुआत करते हैं कुंडली की दुरुस्ती से-
इस जातक का बृहस्पति खाना ८ में बैठा है और खाना ८ के बृहस्पत के बारे में पंडित जी ने कहा है की जातक का बाबा या बाप कभी इक्कठे न होंगे या बाबा (बाप) की उम्र ८ साल या फिर ८० से कम न होगी मगर दोनों इक्कठे न रहेंगे और इस बारे जातक से पूछने पर पता चला की जातक का बाप ९० साल का है मगर जातक से अलग रहता है
बृहस्पति खाना ८ की एक और बात मैंने जो की कई कुंडलियों पर आजमाई है वो यह की जिस भी जातक का बृहस्पति ८ में होगा उसके परिवार का कोई न कोई बुजुर्ग घर से भागकर साधू या सन्यासी बन जाता है और इस जातक के साथ भी ऐसा ही हुआ है इनके एक चाचा घर से बहुत पहले चले गए थे और बाद में पता चला की वो कोई सन्यासी बन गए हैं
चंदर खाना नंबर २ के बारे में पंडित जी ने कहा है की २४ कदम तक कुआँ बल्कि मकान के अन्दर ही कुआँ होगा जब मैंने इस बाबत जातक से पूछा तो पता चला की घर में बोरिंग है और अब तक जातक ने तीन घर बदले हैं और जहाँ जहाँ भी रहे घर में बोरिंग ज़रूर थी, पुराने ज़माने में कुँए आम होते थे मगर अब आजकल कुयों की जगह बोरिंग ने ले ली है
चंदर २ की एक और सिफत पंडित जी ने बताई है वो ये की ऐसे जातक का जनम चौबारे पर होगा जिसके निचे कुआँ या पानी होगा जब इस बाबत जातक से पूछा तो उसे कुछ नहीं पता था मगर एक बात ज़रूर सामने आई अब तक वो जहाँ भी रहा फर्स्ट फ्लोर पर ही रहा आज भी जिस घर में वो रहता है वो पूरा घर उसका अपना है और ग्राउंड फ्लोर पर उसके बेडरूम भी है मगर फिर भी जातक फर्स्ट फ्लोर पर ही रहता है - है न चौंकाने वाला तथ्य
शुक्कर ११ हो तो जातक या उसकी पत्नी के कुल तीन भाई बहन जिंदा होंगे और जातक ने बताया की उसका एक साला और एक साली है
मंगल ९ के बारे में कहा है की जितने बाबे उतने आप भाई- जातक के पिता भी दो भाई जिंदा है एक मर गया था, जातक भी दो भाई है और एक भाई मर गया था
राहू १ के बारे में पूज्य पंडित जी ने कहा है की १८-२० साल की आयु में कोई न कोई कष्ट चोट चोरी धोखा होगा- जातक से जब पूछा गया तो पता चला की जातक को उस दौरान pyar में धोखा मिला था
इसी तरह राहू १ वाले के जनम समय सख्त आंधी बारिश या सामने घर का हाल मंदा या वीराना या लाव्ल्द का साथ होगा- पूछने पर पता चला की अब तक जातक जहाँ जहाँ भी रहा तो पड़ोस में कोई न कोई लाव्ल्द ज़रूर था
केतु ७ और सूरज १० भी पड़ोस में लाव्ल्द होने का संकेत देते हैं
ऐसे और कई बहुत संकेत हैं जिनके द्वारा हम कुंडली की दुरुस्ती कर सकते हैं -
आप सबके विचार आमंत्रित हैं कृपया अपनी राय ज़रूर दे- आदर सहित चेतन सूद
दोस्तों, अब तक तो हमने कुंडली की दुरुस्ती की जांच की और लगभग सही पाया की कुंडली ठीक है
अब आगे कुंडली से जातक को किस तरह के फल मिलेंगे या मिले है इस बाबत चर्चा शुरू करनी चाहिए, इसमें मैं आप सबका सहयोग और आशीर्वाद चाहता हु
कुंडली विश्लेषण -
१. उम्र का साल जारी = ५०
२. जनम दिन का ग्रह= शनि
३. जनम वक़्त का ग्रह= मंगल
४. ऋण= शनि का
कुछ खास बातें- मसनुई सूरज (बुध+शुकर) ११वे खाने में
बृहस्पत- को राहू की टक्कर
सूरज -को शनि केतु से धोखे की दृष्टि और चंदर से दोस्त दृष्टि
चंदर -उच्च भी है और किस्मत को जगाने वाला भी मगर शनि केतु से टक्कर और सूरज उसकी बुनियाद है तोह बुध शुकर से धोखा
शुक्कर -की बुनियाद शनि केतु, बृहस्पत से धोखा, और मसनुई शुक्कर भी खाना ७ में मौजूद
मंगल -और चंदर की टक्कर नेक फल देने वाली है
बुध- शनि केतु उसकी बुनियाद तो गुरु से धोखा दृष्टि
शनि- उच्च तो है मगर जाती उसूल से पापी है, बुध शुकर से दोस्त दृष्टि
राहू- सूरज को ग्रहण लगाएगा
आईये अब इस कुंडली पर आगे चर्चा शुरू करें-
राहू बैठा है खाना नंबर १, खाना १ जिसे तख़्त भी कहा गया है "हाथी बैठा तख़्त पे तख़्त थर्राने लगा, सूरज बैठा जिस भी घर में ग्रहण वहां आने लगा", मगर साथ ही ये भी कहा गया है की बुध शुक्कर जब इकठ्ठे हो तो सूरज ग्रहण नहीं होगा..जातक २८ साल तक अपने परिवार के साथ रहा और उसका काम भी राजदरबार से ही सम्बंधित था, २८वे साल परिवार से अलग हुआ और २८ से ३८ साल तक भी उसका काम खूब चला..यहाँ सूरज ग्रहण ने संभवत काम पर असर नहीं डाला मगर हाँ जातक बचपन से ही पेट की तकलीफ से परेशां रहा संभवत मंगल बद के कारन (हाथ पर भी तिकोन मौजूद है) ...राहू शनि केतु तीनों के मिलने के कारन तीनो पापी है अतः बृहस्पत का कोई खास नेक असर नहीं
एक खास बात कुंडली में कोई भी गृह सोया हुआ नहीं शादी के दिन से शुक्कर जाग पड़ा (साला मौजूद), और लड़के के जनम से बुध जाग पड़ा (लड़की का भाई ) ..बुध शुक्कर जागने (मसनुई सूरज) के बाद से ही लगभग जातक ने काम में काफी तरक्की की जैसे की पता चला...बुजुर्गों की लम्बी उम्र होगी जो की है भी, जातक जिंदादिल, हार न मानने वाला, मेहनती, दौलतमंद हो या न हो मगर दुनिया का हर आराम होगा और यह सही भी है..जिस्मानी परेशानी आम, किस्मत की कोई ख़ास चमक नहीं, ज़िन्दगी खानापूरी का नाम होगी..चंदर जो की किस्मत का ग्रह भी है कोई ख़ास नेक नहीं क्यूंकि राहू के कारन चंदर १/२ होगा और १-२-७-१०-११ में अधिकतर चंदर के दुश्मन ग्रह है..३८वे साल के बाद काम में कोई ख़ास तरक्की नहीं लगभग शनि की उम्र से काम में गिरावट (शनि पापी), जातक शराब और अंडा खाने वाला है..आये चलायी तो है मगर कुछ ख़ास नहीं..
अब इससे आगे...जातक की उम्र का ५०व साल चल रहा है..५० साल के बाद सूरज ग्रहण का असर कम होगा जातक को कुछ रहत होगी..भाई से भी अब दुबारा सुलह हो गयी है..हर संभव उपाय भी बता दिए गए हैं जैसे जैसे करता जायेगा ठीक होता जायेगा..बालों में जू जू सफेदी आएगी चंदर का नेक फल मिलना शुरू हो जायेगा...
गलती बताने वाला मदगार होगा...आप सभी की राय आमंत्रित है...आदर सहित..चेतन सूद
No comments:
Post a Comment