Monday, October 28, 2013

Horoscope Analysis-7 (Lal Kitab)

Native's Birth Data- 15-12-2000, 2327hours, Ludhiana.


मेरी अल्प बुद्धि के मुताबिक मैंने इस कुंडली का जो विश्लेषण किया वो इस प्रकार है-  सबसे पहले तो टेवे की दुरुस्ती की जानी चाहिए..जो की निहायत ज़रूरी है...
चंदर- खाना न० एक में है जिसके बारे में कहा है की ऐसा जातक तरस तरस कर बड़ी मुश्किल और ख्वाहिश से पैदा हुआ होगा, उसके जनम पर वालदैन की हालत और उनकी जायदाद जद्दी भी कोई शानदार नहीं होगी, जो की बिलकुल सही है..इस जातक के साथ भी ऐसा ही हुआ
बुध ४ के बारे में कहा है माँ पर मंदा होगा- यह भी ठीक है क्यूंकि माँ की सेहत कुछ ख़ास अछि नहीं रहती
बृहस्पत १० के बारे में कहा है- सांस की तकलीफ होगी, यह भी सही है क्यूंकि जातक को जनम से सांस की तकलीफ है
राहू ११ में कहा है- जनम से पहले मिले सोने को ख़ाक कर दिखलायेंगे, यह भी बिलकुल सही है जब जातक अभी पेट में था तो घर का सारा सोना बिक गया था..

इस तरह जब तीन चार ग्रहों का फल सही मिलता मालूम हो तो कुंडली ठीक है मान लेंगे...
आईये अब जाने की इस कुंडली पर लाल किताब का कौन कौन सा नियम लागू हो रहा है-
जनम दिन का ग्रह- शुक्कर (काबिले उपाय)
जनम वक़्त का ग्रह- शनि (ग्रह्फल का)
बुध ४= चंदर बर्बाद
राहू ११- बृहस्पत बर्बाद
सूरज केतु मुश्तरका- जिससे सूरज का फल मद्धम होगा
बृहस्पत शनि मुश्तरका- धर्मी टेवा, अब पापी इस कुंडली में बुरा असर नहीं देंगे बल्कि सभी ग्रह धर्मी होंगे
बुध देखता है बृहस्पत शनि को- बुध शनि तो दोस्त हैं, मगर बुध बृहस्पत दुश्मन जिससे बृहस्पत का असर मंदा होगा
मंगल देखता है राहू को- अब राहू चुप होगा
बृहस्पत शुक्कर नीच हैं- न० २ का असर ख़राब होगा
मंगल शनि पक्के घर में हैं
सूरज अपने घर का है
किस्मत का ग्रह - मंगल होगा
कुंडली बालिग़ है
बृहस्पत-चंदर, सूरज बुध, शुक्कर केतु, शनि राहू, बाहम साथी हैं
सूरज केतु- बिल्मुकबिल हैं, बुध शनि भी बिल्मुकबिल हैं
केतु व शुक्कर कुर्बानी के बकरे हैं
६वे घर का मालिक बुध है
आईये दोस्तों अब थोडा आगे चलते हैं और इस कुंडली के १२ घरों पर एक नज़र डालते हैं-
खाना न०१- मालिक मंगल, पक्का घर सूरज का, दोनों उत्तम स्थान में बैठे हैं..सूरज थोडा मद्धम है मगर फिर भी अपने घर में है...न०-१ में चंदर जो की दोनों का दोस्त है, मगर न०७ खाली है अतः चंदर अब सोया हुआ है..न० ८ खाली है अतः राजा (चंदर) की आँख नहीं है...और न०११ में राहू है जो की राजा का दुश्मन है अतः टांगो से भी कोई लाभ नहीं...यानि राजा भटका हुआ है, हाँ मगर जातक इरादे का पक्का होगा
खाना न०२- मालिक शुक्कर, पक्का घर बृहस्पत दोनों नीच...मगर यदि न०२ खाली हो तो असर उम्दा ही लेते हैं, क्यूंकि टेवा धर्मी है अतः शनि अब गुरु का मददगार है
खाना न०३- मालिक बुध, पक्का घर मंगल, दोनों उत्तम..अतः भाईयों का पूरा साथ होगा
खाना न०४- मालिक भी चंदर और पक्का घर चंदर का ही है...yahan बुध baith कर चंदर का फल ख़राब करता है...और चंदर बैठा है अपने दोस्त के घर में अतः माता को सेहत में कमजोरी मगर इससे ज्यादा कोई बुरा असर न होगा
खाना न०५- मालिक सूरज अपने घर में मगर केतु से मद्धम है, पक्का घर गुरु का जो की नीच है...और वैसे भी न०१० और न०५ के ग्रह बाहम दुश्मन होंगे अतः औलाद पर मंदा असर होगा
खाना न०६- मालिक बुध व पक्का घर केतु का, शुक्कर इस घर में नीच है..नानके कोई मददगार न होंगे
खाना न०७- मालिक शुक्कर, पक्का घर बुध...शुक्कर नीच और बुध उत्तम है...अतः गृहस्थ में परेशानी मगर रिजक ठीक होगा
खाना न०८- मालिक मंगल और पक्का घर शनि...दोनों उत्तम हैं...लम्बी उम्र होगी
खाना न०९- मालिक भी गुरु और पक्का घर भी गुरु का...गुरु नीच है...बुजुर्गों से कोई लाभ नहीं या जनम पर कोई खास नेक हालत नहीं होगी
खाना न०१०- किस्मत का मैदान, कुंडली टिकी ही इन दो ग्रहों पर है...मालिक शनि अपने घर में और साथ में गुरु..टेवा धर्मी है..अब पापी कोई बुरा असर ना देंगे...हर एक का मददगार और सुख देने वाला होगा..उम्र का २-४-६-१३-१५-१७-२१-२७-३०-३३-३४-३८-४२-४५-४६-५०-५१-६७ वां साल मंदा धोखा होगा
खाना न०११- उम्र का ११-२३-३६-४८-५७-७२ वां साल राहू उम्दा असर देगा..मंगल ३ के कारण राहू चुप होगा..कोई मंदी शरारत नहीं करेगा..जब तक पिता का साया होगा सांप भी सजदे करेगा..उम्र का ७-२०-३४-४५-५३-६७-७९ वां साल राहू मंदा असर देगा..
खाना न०१२- खाली है..रात का आराम पूरा होगा..
अब आगे का विश्लेषण-
सोये हुए घर- जिस घर में कोई ग्रह न हो या जिस घर पर किसी ग्रह की दृष्टि न हो वो घर सोया होगा
उपरोक्त टेवे में २-७-८-९-१२ घर खाली हैं
(अ)- न०२ को न०८ देखता है, मगर दोनों खाली अतः दोनों घर सोये हुए हैं
(ब)- न०७ को न०१ का चंदर देख रहा है अतः न०७ सोया हुआ नहीं है
(स)- न०९ को न०३ का मंगल व न० ५ के सूरज केतु देख रहे हैं अतः न०९ भी सोया हुआ नहीं है
(द)- न० १२ को न० ६ का शुक्कर देख रहा है अतः न० १२ भी सोया हुआ नहीं है
संक्षेप में खाना न० २-८ दोनों ही सोये हुए हैं, यहाँ खाना न० २ को जगा लेना मददगार होगा जो की चंदर से जागेगा...

सोये हुए ग्रह- जिस ग्रह के दृष्टि के मुकाबले पर कोई ग्रह न हो वो ग्रह जो की खुद पहले घरों का है सोया हुआ होगा
(अ)- चंदर १ और नंबर ७ खाली अतः चंदर सोया हुआ है
(ब)- मंगल ३ और राहू ११ अतः दोनों ग्रह जाग रहे हैं
(स)- बुध ४ और बृहस्पत शनि १० अतः तीनो ग्रह जाग रहे हैं
(द)- सूरज केतु नंबर ५ और नंबर ९ खाली अतः सूरज केतु दोनों ही सोये हुए हैं
(इ)- शुक्कर नंबर ६ और नंबर १२ खाली अतः शुक्कर सोया हुआ है
सोये हुए घर या ग्रह का अर्थ यह है की वह ग्रह या घर सब कुछ होते हुए भी अपना कोई नेक असर नहीं देगा
ग्रह का जागना- (ग्रह का अपने आप जागना)-
(अ)- चंदर, तालीम ताल्लुक से या २४ साल उम्र के बाद और अपने जागने के पहले और २५वे साल मंदा असर देगा यानि २४वे साल और ४९वे साल में
(बी)- सूरज सरकारी नौकरी करने के दिन से या २२ साल उम्र से और अपने जागने के दुसरे या २४वे साल मंदा असर देगा यानि की २३वे और ४६वे साल
(स)- शुक्कर, शादी के दिन से या २५ साल की उम्र से और अपने जागने के ३रे और २८वे साल मंदा असर देगा यानि की २८वे और ५३वे साल
(डी)- केतु, औलाद के जनम से या ४८ साल उम्र के बाद और अपने जागने के ५१वे साल मंदा असर देगा

सोया हुआ ग्रह अपने जागने के बाद कब मंदा असर नहीं देता- सोये हुए ग्रह को जगाने वाले घर के (बहैसियत पक्का घर का मालिक) के मुताल्लक ग्रह का रिश्तेदार कायम हो तो सोया ग्रह जागने पर मंदा असर नहीं देगा
उदाहरण के लिए- उपरोक्त कुंडली में जैसे की सूरज, चंदर, शुक्कर, केतु सोये हुए हैं...अब अगर...
(अ)- चंदर सोया है...क्यूंकि खाना नंबर ७ खाली है..नंबर ७ है शुक्कर का पक्का घर, अब यदि माता का शुक्कर (पति) यानि की जातक का पिता जिंदा होगा तो चंदर का कोई मंदा असर नहीं होगा
(बी)- सूरज सोया है..क्यूंकि नंबर ९ खाली है..खाना नंबर ९ है पक्का घर गुरु का, सूरज है खुद जातक और गुरु है उसका बुजुर्ग, अब यदि जातक के बुजुर्ग जिंदा होंगे तो अपने आप जागने पर सूरज कोई मंदा असर नहीं देगा
(स)- केतु भी सोया है..क्यूंकि नंबर ९ खाली है..केतु है लड़का और गुरु है बुजुर्ग..अब यदि जातक के पिता जो की उसकी औलाद के बुजुर्ग हुए जिंदा होने पर केतु का अपने आप जागने पर कोई मंदा असर नहीं होगा
(डी)- शुक्कर सोया हुआ है..क्यूंकि नंबर १२ खाली है...शुक्कर है औरत (पत्नी) और नंबर १२  है राहू का पक्का घर और राहू है ससुर..अब यदि जातक की पत्नी का ससुर यानि की खुद जातक का पिता जिंदा हुआ तो अपने आप जागने पर शुक्कर कोई मंदा फल नहीं देगा
आईये दोस्तों अब इस कुंडली पर और आगे की चर्चा करते हैं-
इस कुंडली में कोई भी ऋण नहीं बनता, कोई भी महादशा कुंडली पर लागू नहीं होगी, चंदर कुंडली का असर शादी के बाद शुरू होगा वो भी औरत का हाल देखने के लिए..

मुश्तरका घरों का असर :-
खाना न० १-७-८-११ का असर- अब इस कुंडली का राजा चंदर है, राजा का कोई वजीर नहीं और न ही राजा की आँखें है, टाँगे हैं राहू और वो भी चंदर का दुश्मन है...मगर फिर भी राजा को सीधे तौर से कोई नुक्सान न देगा क्यूंकि राहू का हाथी मंगल के महावत के  काबू में है और वैसे भी धर्मी कुंडली में पापी ग्रह बुरा असर नहीं करते..हाँ मगर राजा चंदर की कोई मदद भी नहीं करेगा..

खाना न० २-६-८-११-१२ का मुश्तरका असर- इस कुंडली में खाना नंबर २-८-१२ खाली हैं, कुदरती धोखे या मंदे चक्कर कभी नहीं होंगे..साधू की समाधी और रात का आराम पूरा होगा...२-८ खाली हो तो वैसे ही कुंडली अपने आप उत्तम हो जाती है..

खाना न० ३-५-९-१०-११ का मुश्तरका असर- बुजुर्गो की हालत कोई खास नहीं होगी, पिता की हालत जनम से ठीक हो जाये तो ठीक..भाई के जनम से या २८ साल उम्र से जवानी में बढ़ता जायेगा...औलाद के पैदा होने के दिन से दिन दुनी रात चौगुनी तरक्की करेगा..कुदरत और किस्मत की तमाम मुश्किलात को शनि की तलवार काटती चली जाएगी...

खाना नंबर २-४-१०- का मुश्तरका असर- किस्मत का सरोवर भी है और उसमे पानी भी है...मगर उस तक पहुँचने का जरिया चंदर बताएगा...जो की नंबर की मार्फ़त होगा..अतः नंबर २ को चंदर की मदद से जगा लेना उत्तम होगा..मगरमच्छ की सवारी से किस्मत के सरोवर तक पहुँच ही जायेगा...बशर्ते खुद मगरमच्छ जैसा हो..
दोस्तों, अभी तक हमने देखा की इस कुंडली पर व्याकरण के कौन से नियम लागू हुए और क्यों..अब आगे हम इस कुंडली पर पड़ने वाले ग्रहों के प्रभाव की समीक्षा करेंगे..
सबसे पहले बृहस्पत, क्यूंकि बृहस्पत इस कुंडली में अकेला नहीं है शनि के साथ है..अतः बृहस्पत और शनि का इकठ्ठा प्रभाव देखना होगा:
क्यूंकि बृहस्पत और शनि के इकठ्ठे होने के कारन यह कुंडली धर्मी है अतः जातक हरेक के लिए मददगार और सुख देने वाला होगा..सन्यासी फ़कीर की माया जिसका भेद न खुल सके..किस्मत का फैसला नंबर ११ का राहू करेगा जो की धर्मी है और मंगल के कारण चुप भी है..बृहस्पत शनि दोनों इकठ्ठे जातक की ३४ साल उम्र तक माता पिता की उम्र वास्ते और ४३ साल उम्र तक धन दौलत के लिए इकठ्ठे फल देंगे..लोहे की तलवार तमाम दुनिया की मंदी हवा को कटती हुई चली जाएगी..यदि जातक अपनी किस्मत पर सब्र और संतोष करने वाला होगा तो शनि की माया बृहस्पत के पांवों की गुलाम होगी..दोनों ग्रहों का फल उम्दा होगा, जातक में सोच विचार की ताकत कमाल की होगी, ज़िन्दगी में आगे बढ़ने की चाह होगी, खुद्दार मगर ईर्ष्या से बरी होगा..श्री गणेश जी की तरह इज्ज़त का मालिक होगा..बृहस्पत धन देता जायेगा, शनि उसे खर्चता जायेगा..शराबखोरी से दोनों का फल बर्बाद होगा..मुफ्तखोरी से बुढापे में तकलीफ होगी..शनि की चुस्ती और चालाकी अपनाने से शेषनाग के सिंहासन की तरह छाया देने वाला होगा..एक जगह बैठ कर करने वाले काम लाभ देंगे..धर्मी कर्मी होने से गरीबी पायेगा..३४ और ४६ साल में ससुराल से लाभ..४८ साल उम्र से पहले अपने नाम पर मकान न बनाये..दूरंदेशी और होशियार होगा..बुध का दोनों पर कोई मंदा असर न होगा..बल्कि बुध के साथ से उत्तम मछ रेखा हर तरफ बरकत होगी..
दोस्तों, अभी तक हमने देखा की किस तरह से व्याकरण के नियमों के आधार पर ग्रहों के फल में अंतर आ जाता है..हमने जाना की इस कुंडली में जैसे की बृहस्पत नीच भी है और बुध उसे देख रहा है तब भी बृहस्पत का कोई बुरा असर जातक को नहीं मिला..कारण साफ़ है क्यूंकि व्याकरण और ग्रहों के मुश्तरका फल से हरेक ग्रह के अपने निजी फल में अंतर आ जाता है..
अब एक और चौंकाने वाली बात इस कुंडली में पता चली की राहू और केतु का अपना हर तरह का असर इस कुंडली में सिफर होगा..पहले तो अभी तक हम यही समझ रहे थे की राहू केतु धर्मी हैं और राहू मंगल के आगे चुप है, मगर अब तो तस्वीर ही बदल गयी..राहू केतु का अपना जाती असर इस कुंडली में सिफर है..जो की एक तरह से अच्छा ही है क्यूंकि इससे जहाँ एक और सूरज का अपना असर बहाल और प्रबल होगा वहीँ दूसरी और राहू का नंबर ११ में होने से भी कोई मंदा असर न होगा..और ऐसा ही हुआ भी है..सूरज के असर से जातक इंसानी शराफत और दुनियावी मर्यादा का पालन करता, जनम से किस्मत का धनी, जो खर्च करेगा उसकी औलाद को सूद समेत वापस मिलेगा, ईर्ष्या से दूर रहेगा तो दिल की हरेक इच्छा पूरी होगी, २२ साल की उम्र से राजदरबार में बुलंद मर्तबा बल्कि जनम से ही नेक फल और जू जू बढेगा तरक्की करेगा, औलाद पैदा होने के दिन से चौगुनी तरक्की, हाँ मगर औरत के सुख में कमी होगी, जितना साफ़ दिल उतना उत्तम और बुढ़ापा उम्दा होगा..२४ साल तक तालीम पायेगा, तालीम उम्दा और उस पर लगाया पैसा सूद समेत वापस आयेगा..तालीम हर तरह से मददगार होगी, जब तक माता का हुक्म बजाता रहेगा ज़र, दौलत की बरकत होती रहेगी..सरकार से फायदा उठाने वाला, हाथों में इल्म बरकत देगा, दूध गया तो कुल भी गया, लम्बी उम्र होगी, औलाद का सुख होगा, समंदर पार सफ़र से मोती पैदा होंगे, २५ से २७ साल की उम्र में औरत से दूर रहना ही अच्छा होगा..बल्कि शादी तो २८ साल उम्र के बाद ही करे, अपनी पत्नी को गर शान से रखेगा तो दौलत के महल बनते जायेंगे, लड़कियां ज्यादा होंगी, ६० साल धन आएगा, बहिन या भाई ज़रूर होंगे मगर होंगे देर बाद, ससुराल अमीर होगा, राजयोगी और हुनर मंद होगा, धन होगा मगर दिल की शांति से महरूम होगा..

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