Native's Birth data- 14-12-71, 1550hours, khanna Punjab.
सबसे पहले टेवे की दुरुस्ती ज़रूरी है,
बृहस्पत न०-७- बहन बुआ बेवा, बाबे को दमा, औलाद को तरसे, मुतबन्ना (दत्तक पुत्र) भी दुखी, घर में ताबीज होना चाहिए..मगर ऐसा कुछ भी नहीं है..सिवाय की बाबे को दमा था और ४ में से ३ बुआ बेवा हैं..फिर ध्यान गया की क्यूँ न बृहस्पत को एक घर आगे या पीछे घुमा कर देखा जाये...बृहस्पत खाना न० ८ में रख कर देखा गया...एक चाचा घर से भाग कर साधू बन गए और अभी भी साधू का जीवन ही बिता रहे हैं..जातक की १३ साला उम्र में ही बाबा चल बसा जिनमे से १० साल बाबा जातक से अलग रहा..इस तरह मेरे विचार में बृहस्पत का फल खाना ८ से मिलता मालूम हुआ.
सूरज न० ७- आँगन गली के बिलकुल साथ है और उस पर कोई छत नहीं है
चंदर ६- जनम अमावस के नज़दीक है
शुक्कर ८- औरत सख्त सवभाव की, जातक को एक तरह का गुप्त रोग फिश्ला की प्रॉब्लम है
मंगल १०- पिता खुद चार भाई और जातक खुद दो भाई...मंगल को भी एक घर आगे घुमाया..पिता अमीर और जातक करजाई
शनि १- काग रेखा का फल देगा
राहू ९- दहलीज के नीचे से सीवर की नाली और बुजुर्गों से कोई लाभ नहीं
केतु ३- हमसाया दीवार के साथ लगता प्लाट खाली जो की लोगों के कूड़ा करकट फेंकने के काम आवे
मेरे अपने विचार में उपरोक्त कुंडली में केवल बृहस्पति और मंगल को छोड़ कर बाकी ग्रह वही हैं जहाँ की होना चाहिए बृहस्पत और मंगल एक घर आगे का फल देते हुए लग रहे हैं..
आईये दोस्तों अब इस कुंडली पर आगे चर्चा शुरू करते है...मगर आगे बढ़ने से पहले मैं अपनी गलती दुरुस्त करना चाहता हूँ..इस जातक का बृहस्पत न० ७ का ही असर दे रहा है जैसा की प्रभाकर जी ने स्पष्ट किया और मंगल भी अपनी जगह न० १० का ही है...गलती के लिए माफ़ी चाहता हूँ...
टेवा दुरुस्ती के बाद यह देखना बड़ा ज़रूरी है की कुंडली पर व्याकरण के कौन कौन से नियम लागू हो रहे हैं..तभी हम कुंडली का विश्लेषण ठीक ढंग से कर पाएंगे..
सूरज बुध इकठ्ठे हो तो मंगल नेक होगा मगर इस कुंडली में शनि देख रहा है सूरज को अतः मंगल बद भी है..ऐसी स्थिति में राहू भी नीच होता है अब राहू वैसे भी घर बैठक के लिहाज से भी नीच है..
चंदर शुक्कर २५% दृष्टि रख रहे हैं और चंदर दुश्मनी करता है शुक्कर से
शनि देख रहा है १००% दृष्टि से बृहस्पत, सूरज और बुध को जहाँ बृहस्पत शनि बराबर, सूरज शनि दुश्मन, बुध शनि दोस्त है...
कुंडली में शनि मंगल साथी हैं तो शनि बुध दोस्त होते हुए भी बिल्मुकबिल हैं क्यूंकि शनि की जड़ में मंगल जो बुध का दुश्मन है और बुध की जड़ में चंदर जो शनि का दुश्मन है...
कुंडली में मंगल नेक व बद दोनों मौजूद अतः शनि अब बुध की चाल चलेगा..
जब शनि तख़्त पर हो तो चंदर १/३ और केतु १/२ होगा..
सातवें सूरज रिजक व धन के वास्ते गड़ा पत्थर होगा..
जहाँ से किस्मत का आगाज़ होता है वहां राहू का हाथी रास्ता रोक कर खड़ा है..
खाना न० ५ और ४ सोये हुए है...तालीम ताल्लुक से चंदर जागेगा, शादी से शुक्कर और औरत के ताल्लुक से मंगल जागेगा..
अपने से सातवें का उसूल- (केवल बंद घरों में मुकरर है)- शनि न० १ में नीच है और अपना नीच फल वैसे का वैसा ही न० ७ में बैठे बृहस्पत, सूरज और बुध में मिला देगा और नीच कर देगा..
अपने से बाद के सातवें का उसूल- (तिकोन घरों में मुकरर है)- केतु ३ में नीच है मगर अपने से सातवें राहू के लिए उल्टा फल देगा मतलब ससुराल हालत उच्च होगी खासकर केतु से मुताल्लक अश्या में..
अब आगे कुंडली विश्लेषण- शनि की उम्र है ३६ साल, यानि शनि असर करेगा ३६ साल तक और साथ ही हर ग्रह अपने आधे या १/४ पर भी असर करता है ९-१८-३६, शनि तख़्त पर बैठा नीच है, "पाप टेवे में जब हो मंदा काग रेखा बन जाती, मालिक ख्वाह हो तख़्त हजारी मिटटी कर दिखलाती" राहू केतु दोनों नीच अतः शनि मंदा और नीच फल ही देगा और न० १ का शनि खुराक, रिजक और माया दौलत पर असर करता है...शनि की १००% दृष्टि न० ७ में बैठे बृहस्पत, सूरज और बुध पर..अब बृहस्पत जिसकी उम्र है १६ साल अपना कोई नेक असर नहीं देगा..बृहस्पत है भी मंदा..इसलिए बृहस्पत सोने की जगह मिटटी होगा, धन दौलत हल्का होगा, ९-१८-३६ में बृहस्पत को नुकसान (जातक ने बताया की ३६वे साल उनके घर से सारा सोना चोरी हो गया था), औलाद दुखी, कर्जा, बुजुर्गो की कोई मदद नहीं या न ले सकेगा, हाँ मगर स्त्री धन से बरकत होगी और यही हो भी रहा है जातक की पत्नी बूटीक चलाती जातक का अपना काम तो नुक्सान में ही है
सूरज जिसकी उम्र है २२ साल..अब सूरज ग्रहण का नज़ारा होगा..जिस्मानी कमजोरी, राजदरबार से कोई फायदा नहीं, झगड़ों का फैसला भी हक़ में नहीं होगा..बृहस्पत सूरज दोनों का फल जला होगा, किस्मत की कोई चमक नहीं, हर काम में नाकामी,
बुध ये असर करता है ३४ साल में, जातक ने ३४ साल की उम्र में माँ बाप से अलग होकर नौकरी शुरू की (३९वे साल से अपना कारोबार शुरू किया), यहाँ बुध ने बृहस्पत से अपनी दुश्मनी दिखा दी बेटे को बाप से अलग कर दिया..मगर बाप से अलग होकर भी जातक सुखी नहीं..क्यूंकि किस्मत और रिजक तो बाप के चरणों में ही छोड़ आया था..
इस तरह तीनों ही ग्रहों (सूरज, बृहस्पत, बुध) पर शनि ने अपनी कालिख पोत दी, तीनो अपने पहले चक्कर में निष्फल हुए...
चंदर जो की बैठा है न० ६ में और जिसकी उम्र है २४ साल, जब सूरज में ही कोई चमक नहीं तो चंदर अपनी चमक कहाँ से देगा...जनम भी अमावस के नज़दीक है..हाँ तालीम होगी मगर तकलीफों से...२४ साल तक शुक्कर का फल खराब करता रहेगा...
शुक्कर न० ८ जिसकी उम्र है २५ साल- कोई नेक असर न देगा अपने पहले दौरे में शुकर का फल भी निष्फल जायेगा..२००५ में जब जातक लुधियाना आया तो उसके जातक की पत्नी ने पहले नौकरी की बाद में अपना बूटीक खोला..तब से अब तक वो जातक के साथ मिलकर घर चला रही हैं..गौर करने वाली बात है की यह उम्र का साल बुध का है और बुध बैठा है न०७ में जब बृहस्पत और सूरज की उम्र ख़त्म हुई अब बुध अकेला असर करने वाला है और बुध को शनि भी देख रहा है...निजी तौर पर दोनों दोस्त है (बिल्मुकबिल है मगर अब मंगल ३३ पर ख़त्म और चंदर तो पहले ही २४ पर ख़त्म) यानि अब दोनों की दुश्मनी भी ख़त्म और दोस्ती बहाल हुई..और स्वयं जातक भी अलग हुआ पिता से (बुध ने बृहस्पत से दुश्मनी दिखा दी, मगर शुक्कर से दोस्ती कायम रखी) और शुक्कर (पत्नी) भी जातक के साथ कंधे से कन्धा मिला कर कमाने लगी..
मंगल न० १० में है अतः जैसा शनि होगा वैसा मंगल का फल होगा, शनि नेक नहीं तो मंगल भी अपना नेक फल नहीं देगा..बल्कि बद ही होगा..मंगल १० का होकर भी कोई काम न आयेगा..
बुध ७- दूसरों के लिए पारस, राहू केतु मंदे हो तो बुध भी मंदा ही होगा...अतः व्यापार भी बेमानी होगा...कोई खास लाभ नहीं होगा...मगर करेगा व्यापार ही...
राहू ९- खुदमुख्तारी अछि नहीं, खानदान से अलग नहीं होना चाहिए..मैंने पहले ही इशारा किया था की किस्मत और रिजक तो बाप के चरणों में छोड़ आया है...किस्मत के दरवाजे पर राहू का हाथी अपने वजन से दरवाजे को बंद किये खड़ा है...और राहू की उम्र है ४२ साल..अतः ४२ साल तक किस्मत का कोई नेक असर नहीं...और अगर कुंडली में ग्रहण हो तो ४५-४८ तक सब मंदा और ग्रहण का नज़ारा..केतु भी नीच और राहू भी नीच...बुजुर्गो से दूर, भाई है नहीं...संक्षेप में ४२ के बाद किस्मत का असर शुरू होगा..४८ के बाद ग्रहण हट जायेगा...और जातक को फायदा होगा..व्यापार भी फलेगा..दुसरे दौरे में ग्रहों का फल नेक होगा नेक ज़माना आने की उम्मीद है...ग्रहचाल के मुताबिक सभी संभव उपाय बता दिए गए हैं..कर लेगा तो मंदा वक़्त आराम से कट जायेगा...उपरोक्त सभी बातें जातक से पूछ कर तस्दीक कर ली गयी हैं...फिर दुनियावी हिसाब किताब है कोई दावा-ए- खुदाई नहीं...गलती बताने वाला मेरा मददगार होगा...सादर चेतन..
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