बृहस्पति 3 (त्रिकालदर्शी)
(1942)
त्रिलोकी का मालिक होगा,
गुरु जो तीजे बैठा हो
पग हो तो 18 से 19, वर्ना 3 ही काना हो
दुर्गा पूजन भेद गिना है, 3
(नेक)-18 (बद) होने का
नेक होवे तो सबसे उम्दा,
वर्ना बुध हो 3-9 का
(1952)
बहुत आँख शिवजी, गो मुर्दों
के लेखे
मगर आँख तू एक से क्यूँ है
देखे
शेर तबियत मुंसिफ दुनिया दुर्गा पूजन ज़र राज़ का हो
असर भले जब तक 2 उम्दा नष्ट खुशामद होता हो
4 शनि बुध टेवे मंदा, मारे
मित्र कुल दुखिया हो
दूजे मंगल या 9 शनि बैठा,
तारे सभी खुद सुखिया हो
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