बृहस्पति 7 (राशिफल का)
(1942)
7वे बृहस्पति सब को तारे,
खुद तकड़ी की बोदी हो
धर्म ईमान में अपने पक्का,
पर भाईयों से दुखिया हो
सबका ही वो देवन हारा, चने
का छिलका खुद हो गुज़ारा
खुद किस्मत का अपनी मारा,
चंदर पूजन हो निस्तारा
बुध-शनि घर 2-6-11, या की
12 बैठा हो
उर्ध रेखा का डाकू राहजन,
लड़के को वो तरसता हो
40-45 जब उम्र हुई तो, लड़का
भी आ बैठा हो
पिछले धोने सब कुछ धोकर,
सुख सागर का मालिक हो
लोग गए मेला वैसाखी, लाला
जी जकड़े घर की राखी
(1952)
धर्म माला थैली, न परिवार
देगी
बड़ी शानो शौकत, बिला हिर्स होगी
औलाद बे-कद्री गौर न करता मदद भाई न हुकूमत हो
वक़्त बुढापे हो सुख किसका ज्ञानी तरसता दौलत को
9वें शनि साथ हो मच्छ रेखा रिजक चंदर खुद देता हो
घर से बाहर क्यूँ दौड़े
फिरता, मरना लिखा है घर में जो
तख़्त साथी या घर गुरु बैठा मंद शुक्कर या शत्रु हो
शनि 11, बुध 6-2-12 मुतबन्ना मरे औलाद न हो
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