Friday, June 12, 2020

लाल किताब और बृहस्पति खाना नं: 8

बृहस्पति 8


(1942)

घर 8वा जो खोपरी सबकी, साधू का वो प्याला है

शनि मंगल सब को ही जलावें, गुरु का फल पान निराला है

गुरु के घर जब उत्तम होवे, सोने का भंडारा है

शनि मंगल गर चौथे बैठे, दुखिया भस्म गुज़ारा है

(1952)

बुजुर्गों का हो साथ, जब दिन-रात करता

खज़ाना ज़र व् माया, आयु का बढ़ता

उड़े खोपरी फिर भी जिंदा साथ फकीरी न देगा

आठ बाबा न बेशक बैठा, भेद गैबी बतला देगा

बैठे शुक्कर घर 2-6 साथी, लावल्द होता वह न होगा

दान सोने की लंका अपनी, शिवजी रावण को कर देगा

बुध मंगल बद पापी मंदा कब्र वीराने कर देगा

शनि-मंगल 7-4 जो बैठा, राख खजाने भर देगा

जिस्म पर सोना कायम रखते, दुखिया कभी वह न होगा

बुध-राहू ऋण पितृ टेवे उम्र शक्की तक पा लेगा




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